महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले में पालना गृह स्थापित किया जा रहा है। अक्सर मनचाही संतान न होने और अनैतिक संबंध से उत्पन्न संतान/नवजात शिशुओं को झाड़ियों व सुनसान जगहों पर फेंक देने की घटना प्रकाश में आती है। ऐसी अनचाही संतानों के पालन-पोषण के लिए अब जिले में महिला बाल विकास विभाग सहायता करेगी । यहां कोई भी माता-पिता अपनी अनचाही संतान को पालना में छोड़कर जा सकेंगे और उसकी देखरेख विभाग करेगा। समाज में प्रत्येक बच्चे को जीने का अधिकार प्राप्त है और ऐसी परिस्थितियों में पैदा हुए शिशुओं को बचाया जा सके।
शिशु पालना झूले में आधुनिक यंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे किसी भी माता-पिता द्वारा बच्चे को छोड़ने के बाद वहां लगी घंटी को बजाना होगा| इसके बाद कार्यालय में उपस्थित स्टाफ पांच मिनट बाद बच्चे के पालना के पास पहुँच जायेगा, तब तक कोई भी व्यक्ति पालने से दूर जा सकता है| ऐसे बच्चों को तुरंत पालना केन्द्र प्रभारी द्वारा प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के उपरांत जिले की बाल कल्याण समिति को सूचित किया जायेगा। विभाग द्वारा ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति के माध्यम से संस्थाओं में अस्थाई संरक्षण देते हुए विधिवत प्रक्रिया द्वारा दत्तक ग्रहण हेतु दिया जा सकेगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा शिशु पालना केन्द्र की स्थापना की गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने शासन की इस योजना को अनचाही संतान को जीवनदान देने वाली और कचरे की ढेर व झाड़ियों के पीछे मिलने वाले ऐसे अज्ञात बच्चों को संवैधानिक अधिकारों को दिलाने वाली योजना बताया| शासन की इस योजना से वह बच्चा समाज में सिर उठाकर जी सकेगा। इस दौरान जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने शिशु पालना केन्द्र के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए जनसामान्य से अपील की है कि वे किसी भी परिस्थिति में नवजात बच्चों को कचरे के ढ़ेर में न फेंके बल्कि पालना गृह में नवजात को छोड़ दें। पालने की देखरेख की सूम्पूर्ण जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय के अधिकारीयों एवं कर्मचारियों की होगी।