राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज कांगड़ा जिले के पालमपुर में कृषि विभाग द्वारा शून्य लागत प्राकृतिक खेती के अंतर्गत ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’ पर तीन दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर आचार्य देवव्रत ने कहा कि पालमपुर की बड़सर तथा जिया पंचायतें ज़िले में प्राकृतिक खेती का कार्यान्वयन करने वाली प्रथम पंचायतें होंगी। उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है जब इस मिशन को व्यवहारिक रूप मिला है, जिसके लिए वह गत अढ़ाई वर्षों से प्रयास कर रह थे। उन्होंने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में प्राकृतिक खेती के मॉडल का वास्तविक मायनों में कार्यान्वयन करने के लिए सरकार को बधाई दी और कहा कि यह भावी पीढ़ियों तथा उपजाऊ भूमि को सुरक्षित रखने का पुनीत मिशन है।
राज्यपाल ने कहा कि रासायनिक तथा जैविक खेती का पुराना चलन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उचित नहीं है। जहां तक रासायनिक खेती का सवाल है, इसके द्वारा उत्पादित फसल व उत्पाद विषैले तथा हानिकारक होने के साथ-साथ मंहगे भी है। इसी प्रकार जैविक खेती की लागत अधिक है तथा इससे मिट्टी में मौजूद आवश्यक तत्वों का अत्याधिक उपयोग होता है इसलिए शून्य लागत प्राकृतिक खेती ही राज्य में खेती का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों को प्राकृतिक खेती से ही कम किया जा सकता है। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाने के विभिन्न कारणों एवं लाभों तथा भारतीय कृषि अुनसंधान परिषद की अनुकूल नवीतम रिपोर्ट एवं सिफारिशों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती राष्ट्र को कृषि क्षेत्र में स्वयं निर्भर बनाने का बेहतर विकल्प है तथा प्राकृतिक खेती के उत्पाद न केवल स्वस्थ जीवन जीने में सहायक होते हैं बल्कि पर्यावरण मित्र भी हैं।आचार्य देवव्रत ने कहा कि किसानों को बचाने तथा उनकी आय को दोगुणा करने का एकमात्र उपाय शून्य लागत प्राकृतिक खेती है। इस खेती के अंतर्गत किसानों को एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ेगा बल्कि उन्हें बंजर भूमि को पुनः उपजाऊ बनाने, पानी का न्यूनतम उपयोग करने, स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पाद तैयार करने तथा पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए किसानों से भारतीय नस्ल की गाय को पालने का आग्रह किया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्रीकांत बाल्दी ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा मुख्यमंत्री द्वारा आरम्भ की गई नई योजना ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ के अंतर्गत आयोजित प्रथम शिविर का शुभारम्भ करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ही शून्य लागत प्राकृतिक खेती के प्रेरणास्रोत तथा इसके संबंध में ज्ञान प्रदान करने वाले मुख्य व्यक्ति हैं। उन्होंने राज्यपाल का प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने कुरूक्षेत्र में स्थित गुरूकुल की लगभग 200 एकड़ भूमि में कृषि के इस मॉडल को स्वयं अपनाया तथा सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि कई अन्य मायनों में भी सुरक्षित है। इसलिए राज्य सरकार ने इस ओर कार्य आरम्भ कर दिया है तथा प्रदेश के किसानों के हित के लिए 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान भी किया गया है।
प्रधान सचिव कृषि आेंकार शर्मा ने इस अवसर पर राज्यपाल का स्वागत किया तथा प्रदेश में कृषि की प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक खेती को कार्यान्वित करने में दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए राज्यपाल का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग अन्य सम्बद्ध विभागों की सहायता से प्रदेश में ऐसे और शिविर भी आयोजित करेंगे ताकि और अधिक किसान लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कृषि की इस प्रणाली को प्रदेश में व्यापक रूप से कार्यान्वित करने के लिए सभी संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया।
शून्य लागत प्राकृतिक खेती के मास्टर प्रशिक्षक डॉ. वजीर ने इस विषय पर विस्तृत प्रस्तुति प्रदान की तथा प्राकृतिक खेती के लाभों एवं विभिन्न पहलुओं के बारे में भी जानकारी दी।निदेशक कृषि डॉ. देस राज शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. अशोक सराईल, राज्यपाल के सलाहकार डॉ. शशिकांत शर्मा, कृषि विभाग तथा कृषि विश्वविद्यालय, जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, जिला के गणमान्य व्यक्ति तथा उप-मण्डल पालमपुर के प्रगतिशील किसानों ने भी शिविर में भाग लिया।