सिरमौर में ढाबे वाले की बेटी बनी नर्सिंग ऑफिसर, ‘खान साहब’ की लाडली ने दूसरी बार पाया बड़ा मुकाम

Khabron wala 

कहते हैं कि पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है, मुश्किल राहों में भी मंजिल आसान होती है। इन्हीं शब्दों को बखूबी चरितार्थ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की बेटी उज्मा खान ने।

सीमित संसाधनों में पली-बढ़ी उज्मा

जिला मुख्यालय नाहन की रहने वाली उज्मा खान ने साधारण से हालात और सीमित संसाधनों के बीच पली-बढ़ी इस बेटी ने अपने सपनों को हकीकत का रूप दिया और साबित कर दिया कि मेहनत और जज्बा हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।

उज्मा के पिता दिलशाद खान सेनावाला चौक पर एक छोटा-सा ढाबा चलाते हैं, जबकि उनकी मां शहनाज आंगनवाड़ी वर्कर हैं। आर्थिक परिस्थितियां बहुत बेहतर नहीं रहीं, लेकिन घर का हर सदस्य उज्मा के हौसले का साथी बना। यही वजह रही कि ढाबे के साधारण से माहौल से निकलकर उज्मा ने नर्सिंग ऑफिसर बनने का सपना पूरा किया।

दूसरी बार पाया बड़ा मुकाम

यह पहला मौका नहीं जब उज्मा ने अपनी मेहनत से परिवार और शहर का नाम रोशन किया है। वह पहले ही NORCET-8 एग्जाम पास कर चुकी हैं और उसके बाद AIIMS बठिंडा में सेवाएं दे रही थीं। अब उन्होंने एक और बड़ा मुकाम हासिल करते हुए AIIMS CRE परीक्षा पास कर ली है और उन्हें ESIC अस्पताल में नौकरी मिली है।

उज्मा की इस उपलब्धि ने पूरे परिवार को गर्व से भर दिया है। पिता का छोटा ढाबा और मां की साधारण नौकरी कभी उनके सपनों की राह में रुकावट नहीं बनी, बल्कि यह उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा बन गई। आज उनकी मेहनत और लगन ने पूरे खानदान का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

भाई भी ले रहा प्रेरणा

उज्मा का छोटा भाई अर्स खान वर्तमान में BSC कर रहा है और वह भी अपनी बहन की कामयाबी से प्रेरित होकर एक बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखता है। परिवार मानता है कि उज्मा ने जिस तरह कठिनाइयों को ताकत में बदला है, उसी राह पर अब उनका भाई भी आगे बढ़ेगा।

 

 

 

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