सिर पर सजी किन्नौरी टोपी और उसमें खिला सिरमौरी फूल…यह दृश्य केवल एक सांस्कृतिक प्रतीक नहीं, बल्कि हिमाचली एकता और साझी विरासत का गवाह है। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस टोपी में सजने वाला खूबसूरत फूल नाहन के ग्रामीण इलाकों में उगता है, जो किन्नौर की परंपरा का अहम हिस्सा है। यही नहीं, सिरमौर और किन्नौर के बीच भावनात्मक, सामाजिक और शैक्षणिक रिश्ता दशकों पुराना है। 90 के दशक के अंत तक नाहन, किन्नौर के छात्रों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य था। यही शिक्षा ग्रहण करने आया करते थे। आज भी ये रिश्ता जीवित है, एक ऐसे अधिकारी के रूप में, जो दोनों जिलों को अपने दिल से जोड़ते हैं।
फरवरी 2025 में सिरमौर के पुलिस अधीक्षक के तौर पर किन्नौर के लड़के ने जिम्मेदारी संभाली। संकल्प में स्पष्ट था, सेवा, ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ कानून व्यवस्था को बेहतर करना। ये पहला मौका नहीं था जब वे सिरमौर आए हों। इससे पहले वे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) और डीएसपी राजगढ़ व पावंटा साहिब के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। स्थानीय भूगोल, सामाजिक ताना-बाना और जनता की मानसिकता को करीब से जानने की वजह से उन्हें सिरमौर में कार्य करना अपने ही घर जैसा महसूस हुआ। वो कहते है,सिरमौर मेरा दूसरा घर है।
पदभार संभालते ही ऐसे मुद्दों पर कार्रवाई शुरू की जो लंबे समय से नजरअंदाज हो रहे थे। चाहे वह अवैध शराब की बिक्री हो, नशे के सामग्री की तस्करी खनन माफिया की गतिविधियां हों या नशे की हालत में गाड़ी चलाना, हर क्षेत्र में अपने इरादे साफ कर दिए। मानना है कि छोटी-छोटी लापरवाहियां ही आगे चलकर बड़े अपराधों का कारण बनती हैं, और अगर जमीनी स्तर पर पुलिस सक्रिय हो तो समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
हाल ही में सबसे बड़ी परीक्षा उस समय आई जब पावंटा साहिब उपमंडल के माजरा थाना के अंतर्गत सांप्रदायिक तनाव उपजा। यह स्थिति तेजी से बिगड़ सकती थी, लेकिन अनुभव और विवेक से हालात को संभाला। चार मामले दर्ज किए गए, तीन पुलिसकर्मी घायल हुए और विपक्ष के नेता तक मामले में कूद पड़े। लेकिन वो पीछे नहीं हटे। सही को सही और गलत को गलत ठहराते हुए पूरे जिले को यह संदेश दिया कि कानून सभी के लिए समान है। पुलिस की टीम के साथ मिलकर स्थिति को नियंत्रण में रखा और शांति बहाल की।
छवि न सिर्फ एक कर्मठ और अनुशासित अधिकारी की है, बल्कि एक ऐसे लीडर की है जो टीमवर्क में विश्वास करता है। वे हर कार्रवाई में अपनी टीम को साथ लेकर चलते हैं और प्रेरित करते हैं कि वे भी ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ काम करें। यही कारण है कि जनता के बीच एक सकारात्मक और भरोसेमंद छवि बनी है।
प्रशासनिक अनुभव और ईमानदारी की भावना विशेष बनाती है। वे मानते हैं कि पुलिस सेवा सिर्फ कानून लागू करने का नहीं, बल्कि समाज के साथ संवाद और विश्वास कायम करने का कार्य भी है। उनके नेतृत्व में सिरमौर न केवल अपराध नियंत्रण की दिशा में मजबूत हुआ है, बल्कि एक पारदर्शी और उत्तरदायी पुलिसिंग की ओर भी बढ़ा है।
ये कोई और नहीं सिरमौर के वर्तमान पुलिस अधीक्षक निश्चिंत सिंह नेगी है। नेगी मूल रूप से किन्नौर जिले के रिब्बा गांव से ताल्लुक रखते हैं। स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल सुजानपुर से प्राप्त की है। सपना था कि वे सैन्य अधिकारी बनें, लेकिन SSB में सफलता न मिल पाने के बाद हार नहीं मानी। वर्ष 2007 में तीसरे प्रयास में हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा (HPS) परीक्षा उत्तीर्ण की। IPS में इंडक्शन के करीब हैं। उनकी पत्नी कुल्लू से हैं । नेगी एक बेटी और एक बेटे के पिता हैं। बेटी 12वी में पढ़ रही है,जबकि बेटा सातवीं कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। दिवंगत पिता गुरदयाल सिंह नेगी एक भारतीय वन सेवा अधिकारी थे। 2016 में उनका निधन हो गया। पारिवारिक पृष्ठभूमि में सेवा और अनुशासन की भावना हमेशा से रही है। यही कारण है कि पुलिस सेवा को एक मिशन की तरह अपनाया है। सिरमौर को वह अपना दूसरा घर मानते हैं और यहां की संस्कृति, लोग और धरती से उनका रिश्ता सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि आत्मिक है