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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ES) के सहायक निदेशक विशाल दीप को जमानत दी, जिन्हें CBI ने हिमाचल प्रदेश स्कॉलरशिप घोटाले की जांच के दौरान दो कॉलेज प्रशासकों से रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के 1 अगस्त के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें जमानत देने से इंकार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह ध्यान में रखा कि मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और अधिकारी काफी समय से हिरासत में है। इन परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने राहत देते हुए निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों पर विशाल दीप को जमानत पर रिहा किया जाए।
यह मामला 22 दिसंबर, 2024 को दर्ज दो FIR से जुड़ा है। शिकायतें देव भूमि ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस, ऊना के चेयरमैन भूपिंदर कुमार शर्मा और हिमालयन ग्रुप ऑफ़ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस, सिरमौर के चेयरमैन रजनीश बंसल ने दर्ज कराई थीं। दोनों ने आरोप लगाया कि ED और CBI की चल रही जांच में गिरफ्तारी से बचाने के बदले क्रमशः 55 लाख और 60 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। आरोप था कि उस समय शिमला में तैनात ED अधिकारी विशाल दीप ने फर्जी पहचान का इस्तेमाल करते हुए यह मांग की।
शिकायतों के बाद दोनों एजेंसियों ने संयुक्त रूप से जाल बिछाया। CBI के अनुसार, दो वाहन एक विशाल दीप के नाम पर और दूसरा उनके भाई के नाम पर फिनॉल्फथेलीन टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए, जो आमतौर पर ट्रैप ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जाता है। हाईकोर्ट ने गंभीर आरोपों और पद के दुरुपयोग की आशंका का हवाला देते हुए जमानत ठुकरा दी थी, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हिरासत की अवधि और आरोपपत्र दाखिल होने के बाद जमानत दी जा सकती है। अदालत के इस फैसले से अधिकारी को बड़ी राहत मिली है, जबकि मुकदमे की सुनवाई आगे ट्रायल कोर्ट में जारी रहेगी।









