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पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के कोटखाई के चर्चित गुडिय़ा रेप एवं मर्डर केस के आरोपी की पुलिस कस्टडी में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व आईजी सैयद जहूर हैदर जैदी सजा सस्पेंड कर दी है। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कोर्ट में दलील कि कस्टोडियल डेथ के समय जहूर हैदर जैदी मौके पर उपस्थित नहीं थे। हाई कोर्ट की बैंच ने कहा कि जैदी पांच साल से जेल में हैं और अपील पर सुनवाई लंबी चलने वाली है, ऐसे में फैसला आने तक उनकी सजा सस्पेंड की जाती है। चूंकि इस केस में शामिल पुलिस अधिकारी और कर्मचारी हिमाचल प्रदेश के हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुनवाई चंडीगढ़ में सीबीआई कोर्ट में हुई और सजा के खिलाफ अपील हाई कोर्ट में पेंडिंग है। इस पर जस्टिस अनूप चितकारा की बैंच ने सुनवाई के बाद जैदी की उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया है। बता दें कि वर्ष 2017 में शिमला जिला के कोटखाई में हुए बहुचर्चित गुडिय़ा दुष्कर्म व हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले के पूर्व आईजी जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को चंडीगढ़ सीबीआई अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वहीं, गवाहों के बयान व सबूतों के अभाव में नामजद तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी को बरी कर दिया गया था। सभी दोषियों को इसी साल 21 जनवरी को सजा सुनाई गई थी।
दोषियों में जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा शामिल हैं। चंडीगढ़ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने इसी साल 18 जनवरी को हैदर जैदी सहित आठ पुलिस कर्मचारियों को कोटखाई मामले में दोषी करार दिया था और 21 जनवरी को सभी दोषी पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसी सजा के खिलाफ जैदी ने पंजाब एंड हरियाणा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपील पर फैसला आने तक उनकी सजा सस्पेंड कर दी है। बता दें कि गुडिय़ा (काल्पनिक नाम) का चार जुलाई, 2017 को लापता हो गई थी। दो दिन बाद जंगल में उसकी लाश मिली थी। जांच में पता चला कि छात्रा के साथ रेप करके उसकी हत्या की गई थी। पुलिस ने मामले में एक लोकल युवक समेत पांच मजदूरों को गिरफ्तार किया था। इनमें सूरज नाम का एक नेपाली भी था, जिसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। उस समय मामले में पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था और जबरदस्त रोष प्रदर्शन हुआ था। इसके बाद सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जांच में साबित हुआ कि सूरज की मौत पुलिस हिरासत के दौरान टॉर्चर के कारण हुई। इसके बाद यह मामला शिमला की अदालत से चंडीगढ़ स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट को दे दिया गया था। वहां लंबी चली सुनवाई के बाद पूर्व आईजी जैदी सहित आठ अन्य पुलिस कर्मियों को सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।










