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चाइल्ड हैल्पलाइन बिलासपुर की टीम ने पुलिस के सहयोग से नयनादेवी मंदिर से एक बेसहारा बच्चे काे रैस्क्यू किया है। कई महीनों से मंदिर परिसर में लावारिस जीवन जी रहे इस बच्चे को संरक्षण हेतु बाल आश्रम भेज दिया गया है।
जानकारी के अनुसार चाइल्ड हैल्पलाइन बिलासपुर को सूचना मिली थी कि एक बच्चा नयनादेवी मंदिर परिसर में पिछले कई महीनों से रह रहा है और स्कूल जाने का प्रयास भी कर रहा है। सूचना पर कार्रवाई करते हुए चाइल्ड हैल्पलाइन की सुपरवाइजर बीआर और केस वर्कर सुनीता मौके पर पहुंचे। उन्होंने राजकीय प्राथमिक पाठशाला नयनादेवी के अध्यापकों से संपर्क किया, जहां पता चला कि दस्तावेजों के अभाव में बच्चे का दाखिला नहीं हो पा रहा है।
जांच और काऊंसलिंग के दौरान यह बात सामने आई कि बच्चे को अपने माता-पिता या घर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वह कुछ अन्य लड़कों के साथ किसी तरह नयनादेवी पहुंचा था और अब यहां अकेला रह रहा था। रात में वह मंदिर की गुफा के पास या किसी अन्य स्थान पर सो जाता था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए चाइल्ड हैल्पलाइन टीम ने डीएसपी नयनादेवी विक्रांत को पूरी स्थिति से अवगत कराया। रैस्क्यू ऑप्रेशन में कुछ मुश्किलें आईं, लेकिन डीएसपी विक्रांत और चौकी प्रभारी नयनादेवी के अथक प्रयासों से बच्चे को सफलतापूर्वक रैस्क्यू कर लिया गया। किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत बच्चे के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए उसे संरक्षण और देखभाल के लिए बाल आश्रम में स्थानांतरित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि चाइल्ड हैल्पलाइन बिलासपुर की टीम लगातार बाल श्रम, भिक्षावृत्ति और शिक्षा से वंचित बच्चों के संरक्षण के लिए सराहनीय कार्य कर रही है और अब तक दर्जनों प्रवासी बच्चों का स्कूलों में दाखिला भी करवा चुकी है।