कोई भी व्यक्ति पीड़ित अवयस्क लड़की अथवा बच्चे से संबधित सहायता बारे सूचना चाइल्ड -लाईन टॉल फ्री नंबर 1098 पर कर सकते है और सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा ।यह जानकारी उपायुक्त सिरमौर ललित जैन ने आज यहां चाइल्ड-लाईन सहालकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी । उन्होने कहा कि चाइल्ड-लाईन
संस्था द्वारा जिला में बच्चों के सरंक्षण एवं अन्य बाल विवाह, बाल मजदूरी जैसी सामाजिक कुरितियों के उन्मूलन के लिए अहम भूमिका निभाई जा रही है जिसमें हर व्यक्ति को सहयोग देना चाहिए ।उपायुक्त ने पुलिस को निर्देश दिए कि यदि कोई अवयस्क लड़की घर से भाग कर शादी कर लेती है और इस बारे अभिभावक अथवा विवाह पक्ष भी सहयोग न करे तो ऐसी स्थिति में पुलिस सर्वप्रथम एफआईआर दर्ज कर लें उसके उपरांत अन्य कार्यवाही की जानी चाहिए । उन्होने कहा कि चाइल्ड-लाईन द्वारा ऐसे कई मामले प्रकाश में लाए है जिसमें पीड़ित लड़कियों को प्रशासन की सहायता से सरक्षंण भी प्राप्त हुआ है ।
उन्होने कहा कि चाइल्ड हेल्पलाईन का टॉल फ्री नंबर प्रत्येक पंचायत, सभी स्वास्थ्य संस्थानों व आंगनबाड़ी केंद्रो एवं कार्यालयों में प्रदर्शित किया जाना चाहिए ताकि पीड़ित बच्चे अथवा विशेषकर बेटी की सहायता के लिए कोई भी व्यक्ति चाइल्ड हेल्पलाईन का टॉल फ्री नंबर 1098 पर सूचना दे सके । उन्होने चाइल्डलाईन संस्था के पदाधिकारियों को सलाह दी कि वह सरकार द्वारा आयोजित होने वाले जनमंच कार्यक्रम में अपना स्टॉल लगाकर इस बारे व्यापक प्रचार किया जाए ।
उपायुक्त ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के मामलों को गंभीरता से लें और इस बारे सूचना प्रशासन अथवा पुलिस को अवश्य दें । इसके अतिरिक्त यदि कोई लड़की स्कूल से काफी दिनों तक अनुपस्थित रह रही है तो ऐसी स्थिति मेें उसके बारे पूरी जानकारी हासिल की जानी चाहिए । उन्होने कहा कि कई बार लड़कियां किसी व्यक्ति के बहकावे में आकर स्कूल अथवा घर से भागकर अवैध रूप से रहना शुरू कर देती है जिससे उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है । ऐसे मामलों में शिक्षा विभाग बिल्कुल भी लापरवाही न करे ।
ललित जैन ने शिक्षा विभाग को यह भी निर्देश दिए कि यदि कोई अप्रवासी बच्चा स्कूल में पढ़ना चाहता है अथवा कोई संस्था उसे पढ़ाने के लिए स्कूल में लाती है तो ऐसेे बच्चों को संबधित सरकारी स्कूल में दाखिला दिया जाए और उससे प्रारंभिक स्तर पर आधार कार्ड इत्यादि की मांग न की जाए ।
उन्होने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का व्यापक प्रचार व प्रसार किया जाए तथा यह कार्यक्रम कागजो तक सीमित न रहकर इसे व्यवहारिक बनाया जाए । उन्होने कहा कि अनेक ऐसे बच्चे है जो गंभीर बिमारियों से ग्रस्त है और ऐसे बच्चों के लिए इस कार्यक्रम के तहत इलाज का पूर्ण प्रावधान है । उन्होने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत चिकित्सक द्वारा स्कूल में जिस बच्चे को गंभीर बिमारी के लक्ष्ण बारे पहचान की जाती है ऐसी स्थिति में संबधित बच्चें के माता-पिता को अवश्य अवगत करवाना चाहिए और बच्चे के इलाज के लिए तुरंत प्रभवी पग उठाए जाने चाहिए ।
चाइल्डलाइन संस्था सिरमौर की केंद्र समन्वयक सुमित्रा शर्मा ने बैठक में आए सरकारी व गैर सरकारी सदस्यों का स्वागत करते हुए जानकारी दी कि वर्ष 2013 से 2018 तक जिला सिरमौर में बच्चों से संबधित 1380 मामले दर्ज किए गए जिनमें संस्था द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रशासन की मदद से प्रभावी पग उठाए गए । बैठक में पुलिस उप अधीक्षक प्रतिभा चौहान, बाल कल्याण समिति सिरमौर की अध्यक्षा विजय श्री गौतम, जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस मदन चौहान, चाइल्डलाइन संस्था की परामर्शदाता बिनिता ठाकुर, निशा चौहान दीपिका सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया ।