उद्योग विभाग में महाप्रबंधक एवं सहायक प्रबंधक के नियमों की धज्जियां उड़ाकर प्लाटों का हस्तांतरण कर रहे है जिससे शासन को करोड़ों रूपए की राजस्व की हानि हो रही है। वहीं विभाग के अधिकारी मालामाल हो रहे हैं। इस प्रक्रिया को ऑफर प्रक्रिया के तहत नहीं कराया जा रहा। बताया जा रहा है कि औद्योगिक क्षेत्र गोंदपुर में एक प्लाट पर सीवरेज प्लांट लगना था संतु वहां पर एक निजी दवा इकाई द्वारा पार्किंग बना दी गई है
यही नहीं औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों के सुविधाओं के लिए योजना सिर्फ कागजों में ही बनाई गई है मौके पर कोई भी योजना तैयार नहीं की गई महिला कामगारों के लिए औद्योगिक क्षेत्र में कोई आवासीय प्रबंध नहीं है यहां तक की महिलाओं के लिए औद्योगिक क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय की सुविधा तक भी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है औद्योगिक क्षेत्र में कामगारों को उद्योग विभाग द्वारा मौके पर कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है जिसके कारण श्रमिकों में विभाग के प्रति भी रोष है
विभाग के मंत्री हर्षवर्धन चौहान जिले से मंत्री भी हैं लेकिन उनके ही विभाग में शासन के नियमों के विपरीत ये अधिकारी खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसी का कारण है कि इनके प्रभार वाले जिले में महाप्रबंधक के ढाई वर्ष से अधिक कार्यकाल के दौरान नाम मात्र के उद्योग लगे हैं। वही बताया जा रहा है कि मंत्री के नाम पर भी अधिकारी करोड़ों रुपए की वसूली कर रहे है
महाप्रबंधक एवं सहायक प्रबंधक द्वारा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह कर यह खेल खेला जा रहा है। इनके द्वारा 10-12 वर्षों से प्लाटधारियों को नोटिस तक नहीं दिया जाता तथा कुछ प्लाटों पर दबाव बनाकर प्लाटों का हस्तांतरण किया जा रहा है। इनके कार्यकाल की यदि कमेटी बनाकर जांच की गई तो एक बड़ा घोटाला सामने आएगा। पूरे विभाग में बिना फीलगुड के कोई काम नहीं किया जा रहा। उद्योग विभाग के भ्रष्टाचार के कारण जहां हिमाचल प्रदेश शासन को करोड़ों रूपए के राजस्व की हानि हो रही है वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की छवि भी इन अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कारण धूमिल हो रही है।