पांवटा साहिब की कथित महिला पत्रकार ने छेड़छाड़ के झूठे आरोपों के बीच विक्टिम कार्ड खेलते हुए शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बड़ी सफाई के साथ मीडिया को गुमराह कर दिया।
कथित महिला पत्रकार ने 6 दिसंबर वर्ष 2024 को एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार पर छेड़छाड़ का झूठा मुकदमा दर्ज करवाया था। शिकायत में पुलिस को बताया गया था कि गुरु नानक मिशन स्कूल से आगे और हैवेंस बार से पहले उसके साथ आरोपी पत्रकार ने न केवल छेड़छाड़ की बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट को टच किया। लेकिन जब पुलिस ने आरोपी व्यक्ति और महिला पत्रकार के मोबाइल्स की सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकलवाई तो छेड़छाड़ की जगह पर ना तो महिला पत्रकार खुद थी और ना ही आरोपी पत्रकार वहां पर मौजूद था। सबसे बड़ी बात यह है कि महिला पत्रकार ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए शिमला में खुद को बेहद मासूम और बेकसूर बताया है। जबकि उसने पुलिस की CDR जांच रिपोर्ट को मीडिया से छुपा लिया।
अब तक नहीं पता किस गाड़ी ने किया ड्राप…
वही इस पूरे मामले में उस गाड़ी का कोई अता-पता नहीं है। जिसने महिला पत्रकार को छेड़छाड़ की जगह पर छोड़ा था। उस गाड़ी के बारे में महिला पत्रकार कुछ भी नहीं बता रही है।
पुलिस ने की निष्पक्ष जांच….
पुलिस ने इस पूरे मामले में निष्पक्ष जांच की है जैसे ही महिला पत्रकार ने छेड़छाड़ करने की शिकायत दी पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया और जांच शुरू की गई। पुलिस ने दोनों के फोन नम्बरों की CDR हासिल की गई और मोबाइल लोकेशन का अवलोकन किया गया। जहां पर छेड़छानी हुई है उस स्थान पर न तो आरोपी पत्रकार की फोन लोकेशन आई है और न ही महिला पत्रकार के फोन की लोकेशन आई है। जिसके बाद पुलिस ने 30.04.2025 को LAW OFFICER नाहन से इस मामले में कानुनी राय ली गई जिस आधार पर मुकदमा से गंभीर धाराएं 75,79,126(2) BNS खारिज की गई
क्या थी गंभीर धाराएं…
बता दें कि BNS की धारा 75 में गलत तरीके से छूना: अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को जानबूझकर (Intentionally) गलत तरीके से छूता है या शारीरिक संपर्क बनाने की कोशिश करता है, तो यह यौन उत्पीड़न माना जाता है।
इस धारा को हटा दिया गया।
BNS की धारा 79, जिसे “भारतीय न्याय संहिता” (BNS) की धारा 79 के रूप में भी जाना जाता है, इस धारा को भी पुलिस ने हटा दिया। इस धारा के तहत किसी महिला की गरिमा या शील का अपमान करने के इरादे से किए गए शब्दों, इशारों, या कार्यों से संबंधित है. इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी महिला को अपमानित करने या उसकी लज्जा भंग करने के उद्देश्य से कोई शब्द बोलता है, कोई इशारा करता है, या कोई कार्य करता है, तो वह इस धारा के तहत दोषी ठहराया जा सकता है.
वही बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) 126(2) धारा, किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकने से संबंधित है, और इसमें एक महीने तक की साधारण कैद, या 5,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है इस धारा को भी पुलिस ने लाॅ ऑफिसर की सलाह पर उपरोक्त धारा को भी हटाया गया है। कुल मिलाकर वह सभी धाराएं हटा दी गई है।
गलत आरोप…RTI में ली गई है FIR और कार्रवाई की कोपियां….
वही आपको बता दें कि मीडिया ट्रायल के दौरान जो महिला पत्रकार ने FIR की कोपी लीक की बात कही है वह गलत आरोप है। दरअसल वह जांच की कोपियां RTI act के तहत ली गई है। जांच उपरांत आरोपी व्यक्ति पुलिस फाइंडिंग की जांच रिपोर्ट ले सकता है। इस लिए महिला पत्रकार द्वारा पुलिस अधिकारियों पर लगाए गए आरोप झूठे आरोप बेबुनियाद हैं।
लाइव मिडिया ट्रायल गलत….
वही शिमला में जो प्रेस कॉन्फ्रेंस महिला पत्रकार द्वारा की गई वह एक तरफ थी लाइव करने वाले मीडिया द्वारा एक बार भी यह नहीं सोचा गया की आरोप लगाने वाली महिला द्वारा आप कितने सच्चे हैं और कितने झूठे बता दें कि कठिन महिला पत्रकार द्वारा लगाए गए आप पुलिस और लॉ ऑफिसर के द्वारा निराधार पाए गए हैं लेकिन यह सभी बातें मीडिया ट्रायल में छुपकर रह गई।
गलत का साथ न दे “हाटी”
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में निवास करने वाला “हाटी” समुदाय है, जो अपनी विशिष्ट सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता है। ऐसे में महिला पत्रकार द्वारा पहाड़ी विक्टिम का खेल खेलना बेहद दुर्भाग्य पुर्ण है।
कुल मिलाकर इस मामले में मिडिया ट्रायल ने बिना तथ्यों को जाने न्यायालय और पुलिस कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े किये गये है। हाटी समुदाय सहित हिमाचल प्रदेश की जनता को न्यायपालिका और पुलिस कार्यप्रणाली पर विश्वास रखना होगा।