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वर्दी की शान में लिपटा एक सपना था, मेहनत की आग में तपकर आज हकीकत बना था। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कांगड़ा जिले के एक होनहार बेटे ने। उपमंडल फतेहपुर के रैहन के लिए यह गर्व और खुशी का पल है। कस्बे के गांव रौड़ के रहने वाले केशव दत्त भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं।
लेफ्टिनेंट बना गांव का बेटा
उनकी इस उपलब्धि से न केवल परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र में खुशी और गर्व की लहर दौड़ गई है। गांव से लेकर कस्बे तक लोग एक-दूसरे को बधाइयां दे रहे हैं और केशव दत्त की मेहनत को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बता रहे हैं।
केशव दत्त, पुत्र रमेश चंद, ने अपने सैन्य जीवन की शुरुआत एक सामान्य जवान के रूप में की थी। उन्होंने भारतीय सेना के कोर ऑफ सिग्नल्स में सिपाही के पद पर भर्ती होकर देश सेवा का संकल्प लिया। अनुशासन, मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने लगातार प्रगति की और वर्तमान में वे नायब सूबेदार के पद पर सेवाएं दे रहे थे।
11 साल दी सेवाएं
करीब 11 वर्षों की सेवा पूरी करने के बाद उन्होंने JCO कमीशन प्राप्त किया और अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाया। अब 14 वर्षों की सैन्य सेवा के बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री अकादमी IMA, देहरादून से कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल किया है। यह सफर इस बात का प्रमाण है कि सेना में मेहनत और समर्पण का हर सपना साकार हो सकता है।
केशव दत्त ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सीआरसी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रैहन से प्राप्त की। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने कभी अपने लक्ष्य से समझौता नहीं किया। पढ़ाई के साथ-साथ सेना में भर्ती होकर उन्होंने खुद को लगातार निखारा और आगे बढ़ते रहे। IMA देहरादून में प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने शारीरिक, मानसिक और नेतृत्व क्षमता का ऐसा प्रदर्शन किया कि अंततः उन्हें अफसर बनने का गौरव हासिल हुआ।
युवाओं के लिए बने मिसाल
केशव दत्त के लेफ्टिनेंट बनने की खबर मिलते ही रैहन और आसपास के गांवों में खुशी का माहौल बन गया। लोग इसे क्षेत्र के लिए गौरव का क्षण बता रहे हैं। बुजुर्गों का कहना है कि केशव दत्त ने यह साबित कर दिया है कि छोटे गांवों से निकलकर भी बड़े मुकाम हासिल किए जा सकते हैं। युवाओं के लिए उनका जीवन संघर्ष, अनुशासन और आत्मविश्वास की जीवंत मिसाल बन गया है।
केशव दत्त की इस सफलता ने उनके परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। उनके परिजन कहते हैं कि केशव की यह उपलब्धि सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की जीत है। उन्होंने अपनी मेहनत से यह दिखा दिया कि देश सेवा का जज़्बा इंसान को कितनी ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
रैहन का यह बेटा अब भारतीय सेना में अफसर बनकर देश की सीमाओं की रक्षा करेगा। उनकी यह सफलता आने वाली पीढ़ियों को सेना में जाने और राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी।










