पावटा साहिब : वन विभाग की मिलीभगत से जंगल में बन रही अवेध शराब

पावटा साहिब के जंगलों में कच्ची जहरीली शराब बनाने वाले दर्जनों भट्ठियां लगाकर शराब बना रहे हैं. जिससे गांव का महौल खराब हो रहा है. बावजूद आबकारी विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. आज पुलिस  ने शराब बनाने वालों के खिलाफ अभियान चलाते हुए कई भट्ठियां, हजारों लीटर लहन और शराब बनाने का सामान नष्ट कर दिया डीएसपी वीर बहादुर ने बताया कि सिंघपुरा चौकी प्रभारी के नेतृत्व में 2500 मिली लीटर अवैध शराब जो कि 9 ड्रमो  में भरी हुई थी को फॉरेस्ट एरिया में नष्ट किया है तथा पुलिस की आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी.स्थानिय्रे लोगो  का कहना था कि जंगल में खुलेआम चल रहे इस धंधे में वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत है. स्थानीय लोगों का कहना था कि यहां तैनात वनकर्मी पिछले कई वर्षों से तैनात हैं और उनकी मिलीभगत से ही यह कार्य किया जा रहा है.स्थानीय लोगो ने कई बार मुख्यमंत्री की भी शिकायत की है परन्तु कोई कारेवाही नहीं हुई है

फॉरेस्ट एरिया में कच्ची शराब का धंधा फूल-फल रहा है और जंगल के रखवालों पर तस्करों से मिलीभगत के आरोप लग रहे है । पावटा साहिब के जंगलो  का सूरतेहाल ऐसा ही है। पुलिस ने जंगल में छापा मारा तो हकीकत सामने आ गई। कच्ची शराब का यह धंधा क्षेत्र में सामाजिक विसंगति की वजह बन ही रहा, आसानी से उपलब्ध हो रही शराब युवाओं को भी गिरफ्त में ले रही। यही नहीं, अवैध रूप से बन रही अवेध शराब के कारोबारी जंगल को भारी क्षति पहुंच रहे हैं। शराब बनाने के लिए पेड़ों की छाल निकाली जा रही, जिससे पेड़ असमय सूख रहे हैं।वहीं वन विभाग के निकम्मे  अधिकारी दफ्तरों में बैठकर केवल भाषण देने में व्यस्त हैं तथा मंत्री की चमचागिरी करने में लगे हुए हैं

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जंगल में कच्ची शराब के धंधेबाज बेखौफ हो अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं, मगर वन विभाग की मिलीभगत से यह काम हो रहा है। वह भी तब जबकि जंगल में नदी-नालों के किनारे कच्ची शराब की भट्टियां होने की चर्चाएं अक्सर उठती रही हैं। जंगल में पुलिस की टीम द्वारा पकड़ी गई  भट्टियों से वहां फल-फूल रहे कारोबार का अंदाजा लगाया जा सकता है। आलम यह है कि अवैध रूप से बनने वाली शराब के कारोबारी बेखौफ हो कच्ची शराब को क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में पहुंचा रहे हैं।

कच्ची शराब के धंधेबाज लोगों को नशे में तो डुबो ही रहे, जंगल को भी खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं। शराब बनाने को जंगल से ही लकड़ियां काट रहे हैं तो पेड़ों की छाल का इस्तेमाल शराब बनाने में किया जा रहा। जंगल में बड़े पैमाने पर पेड़ इसकी गवाही दे रहे हैं। पेड़ों की छाल कई-कई फुट तक निकाल दी जा रही है। परिणामस्वरूप ये पेड़ कुछ समय बाद सूख जा रहे हैं। इस सबके बावजूद जंगल को अवैध शराब के कारोबारियों से मुक्त करने की दिशा में कदम नहीं उठाए जा रहे।

सुलगते सवाल

-जंगल में नियमित गश्त के दावों के बावजूद कच्ची शराब की भट्टियों पर क्यों नहीं पड़ती नजर

-कहीं ऐसा तो नहीं कि विभागीय मिलीभगत से तो यह अवैध धंधा फल-फूल रहा हो

-जंगल में वन विभाग तो ग्रामीण क्षेत्रों में आबकारी विभाग और पुलिस क्यों नहीं करते नियमित चैकिंग

वाही वन बिभाग के अधिकारियो का कहना है कि ‘जंगल में कच्ची शराब की भट्टियां चिंता का विषय है। ऐसे तत्वों को जंगल से बाहर खदेड़ने के लिए प्रभाग की सभी रेंजों में कांबिंग करने के साथ ही अवैध गतिविधियां संचालित करने वालों का पता लगाकर उनके खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

 

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