प्रदेश सरकार ने जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चूड़धार चोटी पर स्थित भगवान शिरगुल की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं पर लगाया हुआ वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी शुल्क के आदेश वापिस ले लिए हैं। समुद्र तल से 11965 फीट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार चोटी पर विराजमान शिरगुल महादेव जिला सिरमौर, शिमला, सोलन व उत्तराखंड के लोगों के आराध्य देव है।
पिछले 27 दिनों से चूड़धार यात्रा पर जाने वाले यात्रियों से लिए जाने वाले इको डेवलेपमेंट शुल्क पर प्रदेश में लगातार घमासान चल हुआ था। वन विभाग के वन्य प्राणी विभाग द्वारा लिए जा रहे इस टैक्स को भाजपा एवं नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने मुगल काल में लिए जाने वाले जजिया कर की संज्ञा दी थी। तो वही चूड़धार यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं ने भी इको टूरिज्म के नाम पर लिए वसूले जा रहे हैं शुल्क का लगातार विरोध कर रहे थे। कुछ यात्रियों की, तो वन्य प्राणी विभाग के कर्मचारी तथा पर्ची काट रहे नवयुवक मंडलों के सदस्यों से लगातार बहस भी हो रही थी। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विषय पर शिमला में बयान जारी किया था कि यह कोई जरिया कर नहीं, बल्कि सेंचुरी एरिया में पर्यावरण संरक्षण तथा स्वच्छता के लिए लिया जाने वाला शुल्क है।
Oplus_131072अप्रैल माह के अंत में 1 मई से शुरू हुआ वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी शुल्क को जब वन्य प्राणी विभाग में शुरू किया था। तो इसे चूड़धार सेंचुरी एरिया में पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता के लिए बताया गया था। जिसके तहत कुछ शुल्क तय किए गए थे, जोकि 1 मई से वन्य प्राणी विभाग की टीम द्वारा के विभिन्न मार्गों पर चूड़धार यात्रियों से वसूल कर रहे थे। उधर चूड़धार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया के रेंज ऑफिसर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि वाइल्ड लाइफ डिवीजन शिमला से डीएफओ के आदेश मिलने के तत्काल प्रभाव यात्रियों से लिया जा रहा इको डेवलपमेंट शुल्क लेना बंद कर दिया गया है।