हिमाचल प्रदेश के स्टोन क्रशर मालिकों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी मोहलत , प्रदूषण नियंत्रण के लिए करने होंगे उपाय

पांवटा साहिब की बात करें तो यहां पर क्रेशर प्रदूषण फैला रहे हैं और आसपास के गांव के लोग इनकी धूल मिट्टी से परेशान है अभी तक क्रेशर मालिक ने प्रदूषण नियंत्रण के कोई उपाय नहीं किए हैं जिनके कारण इनके खिलाफ रोजाना शिकायतें हो रही है परंतु कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अपनी पत्ती फिक्स करें हुए हैं

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हिमाचल प्रदेश के स्टोन क्रशर मालिकों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बड़ी राहत मिली है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पांच बिंदुओं पर दिए निर्देशों की अनुपालना के लिए जो मियाद दी थी, उसको दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। अब 31 मार्च तक राज्य के स्टोन क्रशर मालिकों को अपने यहां पर नियमों की अनुपालना के लिए काम करना होगा। राज्य प्रदूषण बोर्ड की ओर से इस संबंध में आदेश जारी हुए हैं। उनके पास शिमला, पांवटा, मंडी व कुल्लू से स्टोन क्रशर मालिकों ने आग्रह किया था कि उनको अतिरिक्त उपकरण लगाने व अन्य कार्यों के लिए समय चाहिए। अभी तक वे नियमों का पूरा नहीं कर पाए हंै, लिहाजा उनको समय दिया जाए। इस पर पूरे प्रदेश में स्टोन क्रशर मालिकों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राहत प्रदान कर दी है। गौरतलब है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पांच प्वाइंट पर काम करने के निर्देश देते हुए कहा था कि स्टोन क्रशरों में एडिशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डिवाइस लगाए जाने चाहिएं। सभी स्टोन क्रशरों में बैक फिल्टर साइक्लोन लगाए जाने चाहिए, वहीं जीआई या एमएस शीट्स का प्रयोग होना चाहिए। यहां चारों ओर इस तरह की शीट्स लगाकर स्टोन क्रशर के इलाके को ढंककर रखना होगा।

क्रशर के भीतर उसके पूरे क्षेत्रफल में मेटल रोड़ होना चाहिए, वहीं जो ग्राउंड एरिया होगा वह भी पूरी तरह से मेटल होना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा गया है, ताकि धूल न उड़े। इस तरह से कुल पांच बिंदुओं पर काम करने को कहा गया था, लेकिन यहां अधिकांश स्टोन क्रशर मालिक तय अवधि में यह काम पूरा नहीं कर पाए हैं। उनका कहना था कि इसमें समय भी चाहिए और इसमें काफी ज्यादा धन भी खर्च होगा। इसलिए उन्होंने राहत मांगी थी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो महीने का अतिरिक्त समय उनको दे दिया है। स्टोन क्रशर संचालकों के पास अब 31 मार्च तक का समय है। यह काम वह पूरा करेंगे और इसकी कंपलायंस रिपोर्ट देंगे। 31 मार्च के बाद खुद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमें मौके पर जाकर अवलोकन करेंगी कि निर्देशों की अनुपालना किस स्तर तक की गई है। इसके बाद बोर्ड अपनी रिपोर्ट देगा और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसकी समीक्षा करेगा।

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