पांवटा साहिब में यमुना नदी में अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है। जिसके चलते यमुना नदी में तेज प्रभाव से पानी आ जाए तो किसी भी समय यमुना नदी पर बने पुल को भी खतरा हो सकता है। इसके अलावा यमुना नदी के किनारे बने लोगों के घरों को भी खतरा बना हुआ है। बताते चलें कि यमुना नदी में अवैध खनन के लिए हिमाचल से लगी सीमा उत्तराखंड के दर्जनों ट्रैक्टर, ट्रक यहां से हर रोज हजारों टन रेत व बजरी को ले जाते हैं। जिससे हिमाचल सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। खनन करने की भी एक सीमा होती है, जबकि यमुना नदी में कई मीटर के हिसाब से गड्ढे हो गए हैं।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के नियमों की भी पूरी तरह से धज्जियां उड़ रही हैं। पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है। इसके अलावा पांवटा साहिब के डिग्री कालेज के सिंगल रोड में रोज रेत से भरे ट्रक तथा ट्रैक्टर चलते हैं। यहां पर रह रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ तब तक पुलिस प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा। लोगों ने कहा कि कई बार तो डिग्री कालेज के पास गाड़ियों से विद्यार्थियों को जाम का सामना भी करना पड़ता है, जिससे छात्रों में रोष है।
माइनिंग विभाग के भ्रष्ट इंस्पेक्टर और गार्ड द्वारा महीने के पैसे लेकर खनन करवाया जा रहा है वही शिकायतकर्ता का कहना है कि वन विभाग के बी ओ और गार्ड भी हर महीने पैसे की वसूली कर भ्रष्टाचार कर अवैध खनन को बढ़ावा दे रहे हैं बताया जा रहा है कि वन विभाग के कर्मचारी अधिकारी भी फॉरेस्ट एक्ट में चालान ना कर कर माइनिंग एक्ट में चालान करते हैं क्योंकि फॉरेस्ट एक्ट में भारी जुर्माना है वही विभागों के अधिकारी अभी तक इन खनन माफिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में भी आनाकानी कर रहे हैं
बेशक प्रदेश सरकार खनन माफिया को लेकर कड़ी कारेवाही की बात कर रही है। लेकिन पांवटा साहिब में खनन माफिया का कहर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। मशीनें लगाकर अवैध खनन सामग्री यमुना नदी से ही जा रही है खनन माफिया इस कदर बढ़ गया है कि अपने मुनाफे के लिए माफिया के लोग यमुना का सीना छलनी कर रहे है। पाबंदी के बावजूद यमुना नदी में खनन माफिया बिना किसी रोक टोक खनन करने में मशगूल है।
रामपुर घाट , भूपुर , बहराल बांकुआ में खनन माफिया ने यमुना और गिरी नदी में आसपास की जमीनों में 10-10 फुट के खड़े कर दिए हैं कांग्रेस के लोग खनन के काम में जुट गये है अधिकारी तबादले के डर से इनके खिलाफ कड़ी कारेवाही करने से गुरेज कर रहे है | अब देखना है की खनन को मुद्दा बनाने वाली प्रदेश सरकार अपने नेताओ को क्या निर्देश देती है |
इस पर लगाम लगाने पर भी पुलिस व् अन्य विभाग कमजोर दिख रहे है। अब तो खनन माफिया पुलिस व प्रशासन पर भारी दिख रहा है। खनन विभाग भी मात्र दो चार चालान काट कर अपने काम को अंजाम दे रहा है। माफिया के लोग रात के समय टिप्परों और ट्रैक्टर ट्रालियों के जरिए रेत और बजरी की सप्लाई करते हैं। खनन माफिया दिन रात इस अवैध धंधे को अंजाम दे रहा है।
खड्डों को खाली कर माफिया का रेत, बजरी निकालने का कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। माफियाओं का अवैध कारोबार इस कद्र बढ़ रहा हैं है कि अब प्रशासन भी अपना शिंकजा कसने में कमजोर दिख रहा है।माफिया के लोगों को पुलिस प्रशासन का डर होता प्रतीत नहीं दिख रहा है इतना ही नहीं खड्डों को खाली कर खनन माफिया के लोग रेत बजरी को अधिक रेट में बेचकर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक खनन माफिया के लोगो को अधिकारी अपने दफ्तरों में बिठा कर चाय पानी पिला रहे है | कई लोगों ने खनन माफिया के इस अवैध कारोबार के बारे में पुलिस प्रशासन को सूचित भी किया बावजूद इसके खनन माफिया का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब देखना यह है कि प्रदेश सरकार खनन माफिया को लेकर नई नीति कब लागू करती है, इससे सिरमौर में खनन माफिया पर काबू पाया जा सकता है या नहीं |
पुलिस द्वारा खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं।जब भी पुलिस अधिकारी खनन क्षेत्रों में छापेमारी की कार्रवाई करते हैं, उससे पहले ही खनन माफिया तक पुलिस की होने वाली कार्रवाई की सूचना पहुंच जाती है। उधर जिला खनन अधिकारी ने बताया कि इन ट्रैक्टरों व ट्रकों के कई बार चालान हो गए हैं। उन्होंने बताया कि यमुना नदी दोनों राज्यों उत्तराखंड व हिमाचल सरकार के अधीन है। उत्तराखंड के अधिकारियों से अवैध खनन को रोकने के लिए सहयोग मांगा गया है।