गुणवत्ता की दुहाई देने वाले लोकनिर्माण विभाग को शायद मालूम नहीं है जमीनी स्तर पर किस तरह उसकी विशवसनीयता तार तार हो रही है। एक तरह से विभाग ठेकेदारों के हाथों की कठपुतली बना हुआ है।
सराहां में लाखों खर्च कर बनाया गया पच्छाद थाना भवन इसका जीता जागता प्रमाण है। जो चीख चीख कर पूरी कहानी बयां कर रहा है। कुछ वर्षों तक इस आलीशान भवन की चमक दमक बरकरार रही लेकिन धीरे धीरे न केवल इसकी चमक दमक गायब हो गई बल्कि भवन जर्जर होना शुरू हो गया। वर्तमान में इस भवन की हालत दशकों पुराने भवनों से भी दयनीय हो चुकी है। गुणवत्ता की बात की जाए तो भवन के छज्जे में लगाई गई शीट बुरी तरह गल सड़ गई है। खिड़कियों की हालत भी दयनीय है जहां बरसात का पानी अंदर आता है। करीब दो दर्जन पुलिसकर्मियों को आश्रय देने वाले इस भवन के शौचालय की पाईप टूट फूट गई है जिसके चलते शौचालय को बंद करना पड़ा।
पच्छाद थाना इससे पहले रियासत काल के भवन में चल रहा था। इस पर तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष गंगू राम मुसाफिर ने 26 सितंबर, 2004 को इस भवन का शिलान्यास किया था। चार वर्षों में बनकर तैयार हुआ यह भवन 22 फरवरी, 2009 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल ने जनता को समर्पित किया। लेकिन किसी ने भवन की गुणवत्ता के विषय मे जानना उचित नहीं समझा नतीजतन थाना भवन बदहाल हो चुका है। जर्जर हो चुके इस भवन की मुरम्मत के लिए पुलिस अधिकारियों ने कई बार विभाग को अवगत करवाया लेकिन कई साल निकल गए आजतक किसी ने इस भवन की सुध नहीं ली।