हिमाचल प्रदेश पी.टी.ए शिक्षक संघर्ष मंच के प्रदेशाध्यक्ष पंकज कुमार , महिला प्रकोष्ठ की राज्य अध्यक्ष छवि सूद , राज्य उपाध्यक्ष दिनेश पटियाल ,महासचिव राजपूत संजीव ठाकुर ,मुख्यस्लाहकर नरेंदर शर्मा ,राज्य कोषाध्यक्ष रविकांत शर्मा ,संयोजक कासिम खान , सहसचिव अमित शर्मा , सचिव विनीता ठाकुर इत्यादि पदाधिकारियों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि अगर प्रदेश सरकार अनुबन्ध पीटीए अध्यापकों द्वारा पिछले 12 साल से उठाई जा रही मांगो को पूरा नही करती है तो सभी अनुबन्ध पीटीए अध्यापक परिवार सहित आगामी विधानसभा चुनावो का बहिष्कार करते हुए राइट टू वोट के अधिकार को सरेन्डर करेंगे ।
पदाधिकारियों ने कहा कि अपने ही देश में हमसे शरणार्थियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है अगर सरकार हमे वाकई में शरणार्थी मान चुकी है तो शरणार्थियों वाली तमाम वो सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं जो भारत मे शरणार्थियों को मिल रही हैं । संघर्ष मंच ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि पिछले 12 साल से हमारे वर्ग के शोषण की इंतहा हो चुकी है और सरकार और व्यवथा मूकदर्शक बनकर हमारे उजड़ते भविष्य का तमाशा देख रही है । संघर्ष मंच ने कहा कि सरकार आगामी 23 सितम्बर की कैविनेट में अनुबन्ध पीटीए अध्यापकों को सशर्त नियमितीकरण का बहुप्रतीक्षित निर्णय लेकर हजारों अध्यापकों के हित को सुरक्षित करे । संघर्ष मंच ने एक बार फिर से अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि सरकार चुनावी वर्ष में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह स्वयं 2012 में सत्ता में आते ही नियमित करने का वायदा किया था गौरतलव है कि सरकार तो बनी पर वो वायदा सरकार के कार्यकाल के आखरी महीनों में भी अभी तक पूरा नही हो सका है ।
पदाधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार किसी कारणवश उपरोक्त मांग को पूरा करने में असमर्थ है तो सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की तर्ज पर 2 साल का अनुबन्ध कार्यकाल पूरा करने वाले अनुबन्ध कर्मचारियों को महंगाई भत्ता ( DA) देकर आंशिक राहत दी जाए साथ ही पैट अध्यापकों की तर्ज़ पर वन टाइम रिलेक्सशेसन इन ट्रांसफर पॉलसी का प्रावधान किया जाए क्योंकि टांसफर की सुविधा न होने के चलते इस वर्ग को पिछले 12 साल से भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है इसलिए अगर सरकार आगामी मंत्री मण्डल की महत्वपूर्ण वैठक में इसपर निर्णय लेती है तो अनुबन्ध कर्मचारियों को राहत मिल सकेगी जिससे अनुबन्ध पीटीए अध्यापक भी लाभान्वित होंगे । अगर सरकार हमारे वर्ग की उपरोक्त मांगों को नजरअंदाज करती है तो समस्त अनुबन्ध पीटीए अध्यापक परिवार सहित आने वाले विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे ।
गौरतलब है कि वर्ष 2012 के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस ने वादा किया था की सत्ता में आने पर पीटीए अध्यापकों को नियमित किया जाएगा जिसपर इस वर्ग ने सत्तारूढ़ दल का सार्वजनिक तौर पर खुला समर्थन करकर सत्ता तक पहुचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन इस वर्ग को अभी तक राहत के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है बल्कि सरकार द्वारा इस वर्ग की जायज मांगों को लगातार नज़रअंदाज़ किया जा रहा है जिससे इस वर्ग में सरकार के खिलाफ व्यापक रोष है
अब जबकि सरकार चुनावी वर्ष में लगभग सभी कर्मचारियों को तोफे दे चुकी है लेकिन अनुबंध पीटीए अध्यापक अपने आप को ठगा और नज़रअंदाज़ होता सा महसूस करने के बावजूद राहत की आस में बैठे है । संघर्ष मंच के पदाधिकारियों ने कहा है कि अध्यापकों ने सरकार के समक्ष 3 सूत्रीय मांग रखी है अगर सरकार इन मांगों को पूरा नही करती है तो आगामी विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ दल को भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है । क्योंकि राजनितिक दलों के लिए ये राजनितिक मुद्दा हो सकता है लेकिन हजारों अध्यापक परिवारों के लिए ये सिर्फ रोजी रोटी और मान सम्मान को बचाने की जंग है इसलिए सरकार इसपर जल्द निर्णय लेकर हजारों अध्यापक परिवारों को इस मानसिक दबाव से मुक्त करे ।