-बैंकाक में थाईलैंड के प्रधानमंत्री राम को देंगे अंतराष्ट्रीय युवा व्यवसायी पुरस्कार
-कुल्लू के दुगर्म गांव दलयाड़ा के रहने वाले हैं युवा व्यवसायी राम
-देशभर में लाखों युवाओं को दिया है रोजगार आयुर्वेद में कमाया है नाम
(नीना गौतम) देवभूमि कुल्लू की माटी के गवरू ने देश का नाम दुनियाभर में रोशन किया है। कुल्लू जिला के दुर्गम गांव दलयाड़ा के युवक राम शर्मा ने अपने हुनर के बलबुते पूरे देश में अपने व्यवसाय को फैलाकर लाखों युवाओं को रोजगार की दहलीज पर लाकर खड़ा किया है। यही नहीं हिमालय के हिम आंचल में पैदा हुए इस युवक ने यहां की जड़ी बुटियों को आधार बनाकर देशभर में आयुर्वेद का प्रचार करके नाम कमाया है। इस युवा व्यवसायी के टेलैंट को देखते हुए इस युवक को अंतराष्ट्रीय ग्लोबल अवॉर्ड 2017 के लिए चुना गया है।
इस अंतराष्ट्रीय ग्लोबल अवॉर्ड का आयोजन 18 अगस्त को बैंकाक के होटल होलीडे इन में आयोजित होगा। थाईलैंड के प्रधानमंत्री इस युवा को युवा व्यवसायी के अंतराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। इस पुरस्कार के लिए विश्वभर के व्यवसायी व व्यक्तिगत प्रतिभावाशाली लोगों को उनके सराहनीय कार्य के लिए चुना जाता है जिसमें कुल्लू जिला के दलयाड़ा गांव के इस युवक का भी चयन हुआ है। पूरे प्रदेशभर व देशभर के व्यवसायियों में राम शर्मा के चयन को लेकर खुशी का माहौल है। यही नहीं देवता बड़ा छमाहूं की धरती दलयाड़ा गांव में भी जश्र का माहौल है कि एक छोटे से गांव से निकला युवक जहां चंडीगढ़ में बैठकर लाखों युवाओं को रोजगार मुहैया करवा रहा है वहीं आज उक्त युवक ने इस छोटे से गांव का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया है। बंजार उपमंडल के दलयाड़ा गांव में लक्ष्मण शर्मा के घर में जन्में इस युवक में बचपन से ही कुछ नया करने का जज्बा था जो आज अंतराष्ट्रीय स्तर की ख्याती से पूरा हुआ है।
राम अपनी इस कामयाबी के लिए बेहद खुश है। राम शर्मा ने बताया कि जब उन्हें अंतराष्ट्रीय युवा आंट्रेप्रेनुर चुना गया तो उन्हें बेहद खुशी हुई है। राम शर्मा आयुर्वेद के द्वारा पूरे भारत में बिमारियों से बचने के उपाय व दवाईयों के बारे में जागरूक करते हैं। इसके अलावा लाखों युवाओं को उनके रोजगार व स्वस्थ जीवन को लेकर जागरूक करते हैं। राम शर्मा की माता कृष्णा देवी गृहणी है और पिता कुल्लू कोर्ट में कार्यरत हैं। राम शर्मा ने बताया कि इस कामयाबी के पीछे जहां उनके माता-पिता का हमेशा सहयोग रहा है वहीं गुरूजनों को भी इसका श्रेय जाता है कि उन्होंने मुझे इस काविल बनाया। उन्होंने बताया कि वह छोटे से ब्राह्मण गांव दलयाड़ा में पैदा हुए और देवता बड़ा छमाहूं का उन्हें हमेशा आशीर्वाद रहा है। बड़ा छमांहूं का पूजारी होने के नाते वे हमेशा देव संस्कृति से भी जुड़े रहे हैं और आज गांव से बाहर रहकर भी अपनी देव संस्कृति व सभ्यता को नहीं भूले हैं। इसलिए महानगरोंं में रहकर भी उन्हें माता-पिता व देव बड़ा छमाहूं का उन्हें पूरा आशीर्वाद रहा है।
उन्होंने बताया कि जिस समय वे गांव में पढ़ाई करते थे तो कई किलोमीटर तक पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता था। गांव सड़क सुविधा से कोसों दूर थी और कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई करनी पड़ती थी। गांव में रोजगार के कोई खास साधन न होने के कारण महानगरों की ओर कुच किया और धीरे-धीरे व्यवसाय के गुर सीखकर आज इस कामयाबी पर पहुंचा हूं। बहरहाल कुल्लू जिला के ग्रामीण क्षेत्र के गबरू भी आज देश दुनिया में नाम कमा रहे हैं।