फ्राड FIR,फ्राड नाका,फ्राड बरामदगी ,शिमला पुलिस  का काला कारनामा HRTC के बहाल हुए RM की जुबानी

 

शिमला। गुडिया गेंगरेप व मर्डर कांड व आरोपी सूरज की पुलिस लॉकअप में हत्‍या के बाद एचआरटीसी के रीजनल मैनेजर महेंद्र सिंह ने गृहमंत्री व मुख्‍यमंत्री वीरभद्र सिंह के अधीन पुलिस के काले कारनामे का पर्दाफाश किया हैं। इस मैनेजर ने साथ ही एलान किया कि वो  संबंधित  पुलिस  अफसरों व  स्‍टाफ  के  खिलाफ 50  लाख रुपए का मानहानि का दावा करेंगे।

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तत्‍कालीन एसपी डोंडुप वांग्‍शुक नेगी की कमान में दर्ज पुलिस एफआईआर के मुताबिक 30अप्रैल  2017 को चार किलो चिटटे के साथ पकड़े गए एचआरटीसी के सोलन में तैनात रीजनल मैनेजर महेंद्र सिंह ने दावा किया हैं कि शिमला पुलिस ने उनके खिलाफ फ्राड एफआईआर दायर की,फ्राड बरामदगी  दिखाई  और नाका भी  फ्राड  था ।उनसे कभी कोई सामान बरामद ही नहीं किया गया।30 अप्रैल की रात को जिस दिन उन्‍हें शोघी में प‍कडें जाने का पुलिस एफआईआर में जिक्र हैं उस समय वो शोघी में थे ही नहीं।वहां कोई नाका ही नहीं लगा था।पुलिस ने सब फ्राड किया हैं।

72 दिनों तक जेल में रहने के बाद शिमला की स्‍पेशल जज की जिला अदालत से इस मामले में डिस्‍जार्च  कर दिए गए आर एम महेंद्र सिंह आज राजधानी में मीडिया से रूबरू हुए व जो खुलासा उन्‍होंने किया वो चौंकाने वाला हैं।

महेंद्र सिंह ने कहा कि 30 अप्रैल को वो नालागढ़ से अपनी गाड़ी में आ रहे थे व शाम साढ़े सात बजे के करीब वो शोघी पहुंच गए थे। इस बीच उनके साथ एक राजीव नामक शख्‍स था उसे किसी विकास का फोन आया  जिसने उसे कहा कि उसे मिलना हैं। उसने कहा कि वो पंप के समीप हैं।

आर एम महेंद्र सिंह ने कहा कि  उन्‍होंने वहीं से गाड़ी मोड़ी व पंप के पास पहुंच गए। वहां पहुंचने पर वो गाड़ी से उतर गए व पेशाब करने चले गए। वह वापस आए तो वहां सीआईए स्‍टाफ ने उनसे धक्‍का-मुक्‍की शुरू कर दी।उन्‍होंने पुलिस को अपना पहचान पत्र भी दिखाया। लेकिन वो धक्‍का-मुककी करते हुए चेक पोस्‍ट में ले गए। उन लोगों के पास पहले से ही एक बैग था।  वहां पुलिस से नोक झोंक करते हुए नौ बज गए व साढ़े नौ बजे के करीब वो उन्‍हें बालूगंज थाने ले आए। महेंद्र सिंह ने कहा कि यहां पर डीएसपी रतन सिंह नेगी उन्‍हें बहुत टार्चर किया। लेकिन वो कुछ नहीं कर सकते थे।

महेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस ने एफआईआर में रात साढ़े 12 बजे शोघी में नाके पर पकड़ा हुआ बताया हैं व उनसे चार किलो चिटटा बरामद बताया और सुबह चार बजे गिरफ्तार शो किया ।एफआईआर में ये भी जिक्र किया गया कि उन्‍होंने बैग को गाड़ी में छिपाने की कोशिश की व उनके ड्राइवर ने कहा था कि ये बैग आरएम का हैं।

आर एम महेंद्र सिंह ने कहा ये सब फ्रॉड कहानी थी।उनसे कुछ भी बरामद नहीं किया गया। उनके ड्राइवर ने कुछ नहीं कहा।

उन्‍होंने कहा कि उनकी गाड़ी में जीपीएस सिस्‍टम लगा हुआ था। उसकी रिपोर्ट ने पुलिस की कहानी का पर्दाफाश कर दिया। जीपीएस रिपोर्ट को मीडिया को दिखाते हुए उन्‍होंने कहा कि उनकी गाड़ी साढ़े सात बजे के करीब शोघी में हैं। उसके बाद साढ़े नौ से लेकर सुबह तक गाड़ी बालूगंज में थी। वो रात दस बजे के बाद चली ही नहीं।ऐसे में उनकी गाड़ी पुलिस ने रात साढ़े बारह बजे शोघी में कैसे पकड़ ली।

उन्‍होंने कहा कि जिस चिटटे को बरामद करने का दावा पुलिस ने किया ,उसकी जांच जुन्‍गा का फारेसिंक लैब में भेजा गया। लेकिन रिपोर्ट को सामने नहीं लाया गया। बरामद माल के नमूने को हैदराबाद की लैब भेजा गया। ये इसलिए किया गया ताकि मामले में देरी की जा सके और उन्‍हें जेल में ज्‍यादा दिन रखा जा सके।
लेकिन हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हो गई।जिस पर हाईकोर्ट की जस्टिस  संजय  करोल  व  जस्टिस अजय  मोहन  गोयल की  पीठ  ने सरकार ने  सभी नमूनों की रिपोर्ट मंगवा ली। उस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पुलिस ने जो माल जांच के लिए भेजा था वो अमोनियम कार्बन और अमोनियम बायोकार्बोनेट था जो बेकरी में काम आता हैं। वहीं हैदराबाद की रिपोर्ट भी सामने आ गई। जिसमें  सब कुछ खुलासा हो गया।  उन्‍होंने कहा  कि अगर  हाईकोर्ट ने दखल न दिया होता तो,वो  अभी  कैथू जेल में ही होते व पता  नहीं कितने महीने -साल वहां रहते।

महेंद्र सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों पर पुलिस ने ही स्‍पेशल जज  की अदालत में उन्‍हें केस से  डिस्‍चार्ज करने की अर्जी डाली। कोई ट्रायल नहीं चला। अब उन्‍हें बीते रोज परिवहन निगम ने उनके  निलंबन को वापस ले लिया हैं। वो  वो  नौकरी ज्‍वाइन  करने जा रहे हैं।

उन्‍होंने कहा कि  पुलिस की ओर से दर्ज फ्राड एफआईआर की वजह से उनके परिवार के सदस्‍य  आत्‍महत्‍या  करने के  कगार पर पहुंच गए थे। 72 दिनों तक उन्‍होंने बहुत कुछ झेला व जेल में बंद बाकी आरोपियों से भी  मिले ।सबकी अलग -अलग कहानी हैं। अब वो पचास लाख रुपए का  मानहानि  का दावा ठोकने जा रहे हैं।

उन्‍होंने ये खुलासा नहीं किया कि उनके खिलाफ पुलिस ने ये सब क्‍यों किया। हालांकि उन्‍होंने संकेत दिया कि कोई विभागीय अधिकारी भी इस साजिश के पीछे हो सकता हैं।

बहरहाल,जो भी हो लेकिन शिमला पुलिस संकट में हैं। साथ ही वीरभद्र सरकार की विश्‍वसनीयता भी सवालों में  हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब पुलिस के कारनामे रिकार्ड पर आ गए हैं तो गृह विभाग कार्रवाई क्‍यों नहीं करता हैं। या फिर कहीं कुछ और ही हुआ हैं या  हो  रहा  हैं।

आर  एम  महेंद्र सिंह  को  इस  मामले में पकड़े जाने पर परिवहन मंत्री जी एस बाली ने तुरंत निलंबित  कर  दिया  था।  महेंद्र  सिंह परिवहन मंत्री बाली के बेहद लाडले अफसर थे।महेंद्र  सिंह  ने  कहा  कि वो  आगामी पंद्रह दिनों में  कोई  बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं।

 

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