क्षमताओं का सही व सुव्यवस्थित उपयोग किया जाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य आपात के दौरान चिकित्सकों व स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े हितधारकों के बीच किसी प्रकार अंतर न हो। यह बात केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज यहां सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात के दौरान संचार जोखिम पर दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कही।
नड्डा ने कहा कि चिकित्सा जगत से जुड़े विशेषज्ञों व आम लोगों के बीच संवाद की बड़ी कमी है। यही नहीं, चिकित्सकों को भी अपनी क्षमता की सही जानकारी नहीं हैं, बेशक वह लोगों को बेहतर उपचार सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। आज के दौर में जब संचार के अनेक माध्यम मौजूद है, चिकित्सकों को आम लोगों के साथ नियमित संवाद करना चाहिए और उन्हें समाज की संतुष्टि के स्तर को समझना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चिकित्सक जब लोगों की बीमारी का उपचार करते हैं, तो वह उन्हें अनेक अन्य बीमारियों की जानकारी देकर उनसे बचने का मार्ग भी बता सकते हैं। उन्होंने कहा कि बेशक चिकित्सकों पर काफी बड़ी जिम्मेवारी है और वह काफी व्यस्त रहते हैं, लेकिन लोगों की बीमारियों का इलाज करने से बेहतर वे बीमार ही न हो, इस दिशा में संवाद व संचार करने की नितांत आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों के दौरान विश्व के कुछ देशों में इबोला, इंफ्लूएंजा, जिका वायरस, स्वाईन फलू जैसी महामारियों ने अचानक जन्म लिया और देशों की आर्थिकी व सामाजिक परिवेश को प्रभावित किया। इन महामारियों से निपटने में संचार, मीडिया की भूमिका, हितधारकों की सक्रियता तथा पंचायती राज संस्थानों, स्वयं सेवी संस्थाओं तथा आम जनमानस की भूमिका अहम् है। उन्होंने कहा कि चुने हुए प्रतिनिधियों को महामारियों के बारे में प्रशिक्षण व जागरूकता की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि वे लोगों के बीच जाकर सीधे संवाद के माध्यम से साधारण बोल चाल में उन्हें जानकारी प्रदान कर सके। उन्होंने कहा कि बीमारियों के उपचार से बेहतर है कि बीमारी उत्पन्न ही न हो।
इससे पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात के दौरान संचार जोखिम पर सामरिक निर्देश पत्रिका तथा सी.डी. का विमोचन भी किया।स्वास्थ्य व परिवार कल्याण तथा आयुर्वेद मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लिये आज ऐतिहासिक दिन है। आज उत्तर क्षेत्र के लिये आयुषमान भारत योजना की शुरूआत प्रदेश की राजधानी शिमला से हुई जो गरीब लोगों को पांच लाख का स्वास्थ्य छत्र प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़ी सभी योजनाओं का राज्य में प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित बनाया जाएगा। प्रदेश के स्वास्थ्य मानक काफी अच्छे हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव प्रीति सुडान, महानिदेशक केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय डा. प्रोमिला गुप्ता, निदेशक एनसीडीसी डा. एस.के. सिंह ने कार्यशाला के उद्देश्य, संचार की आवश्यकता तथा अन्य विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।इससे पूर्व, स्वास्थ्य निदेशक डा. बलदेव ठाकुर ने स्वागत किया।शिमला लोक सभा संसदीय क्षेत्र के सांसद वीरेन्द्र कश्यप, मुख्य सचिव विनीत चौधरी, प्रधान सचिव स्वास्थ्य प्रबोध सक्सेना, राज्य स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, चिकित्सक तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी भी कार्यशाला में उपस्थित थे।