हिमाचल प्रदेश की आर्थिक मजबूती और यहां विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए उपलब्ध अवसरों के बारे में नार्वे और सीरिया मिशन के प्रमुखों को अवगत करवाने के उद्देश्य से आज यहां मुख्य सचिव विनीत चौधरी की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य इन देशों के साथ तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान और राज्य के विशिष्ट हितों को बढ़ावा देना था।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य की 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जो सीधे तौर पर कृषि और बागवानी से जुड़ी है। राज्य की कृषि पारिस्थितिकी और जैव विविधता वृहद है और यहां प्रदूषण मुक्त पर्यावरण व प्राकृतिक खेती के कारण गुणवत्तापूर्ण गैर मौसमी कृषि उत्पादन के लिए बेहतर परिस्थितियां हैं। नकदी फसलों के क्षेत्र के विस्तार के साथ-साथ संरक्षित खेती के साथ मूल्य वृद्धि और फसल कटाई के पश्चात प्रबन्धन की भी आपार सम्भावना है।
विनीत चौधरी ने कहा कि प्रदेश में व्यवसायिक कृषि और इसके उत्पादन में वृद्धि तथा कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए इन दोनों देशों के विशेषज्ञों से तकनीकी जानकारी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को सेब राज्य के रूप में जाना जाता है और अब यह कट फ्लावर राज्य बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्य को एकीकृत फसल कटाई प्रबन्धन, रोपण सामग्री, तकनीकी सहयोग और अधिकारियों तथा किसानों की क्षमता वृद्धि में सहयोग की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में पर्यटन की आपार सम्भावनाएं हैं और प्रदेश सरकार राज्य में बुनियादी पर्यटन ढांचे, रज्जू मार्ग, साहसिक पर्यटन, नागरिक उड्डयन क्षेत्र के विकास और आदर्श पर्यटन गांवों आदि की स्थापना के लिए सहयोग चाहती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लगभग दो करोड़ पर्यटक हिमाचल प्रदेश में प्रतिवर्ष आते हैं और अनुमान है कि लगभग आठ से दस लाख पर्यटक केवल पर्यावरण पर्यटन के लिए प्रदेश भ्रमण पर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल में 66.56 लाख पर्यटकों की इको-टूरिज़म क्षमता है।
मुख्य सचिव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश 31 इको-सर्किट के विकास और 1000 करोड़ प्रति हब की लागत से पांच इको-पर्यटन के विकास के लिए निवेश में सहयोग चाहता है। इसके अतिरिक्त पारस्परिक लाभों के लिए टूअर ऑपरेटर, संयुक्त आयोजन प्रबन्धन और अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग के लिए सामंजस्य स्थापित करने की भी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि राज्य की भौगोलिक स्थिति स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयुक्त है और औषधीय पौधों के लिए भी यहां की जलवायु अनुकुल है। आयुर्वेदिक क्षेत्र के अंतर्गत आयुष, पंचकर्मा, रिजूविनैट थेरेपी और योग का ज्ञान सांझा करने के लिए यहां अपार संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में ट्राउट मछली उत्पादन देश में सर्वाधिक है जो 12765 मीट्रिक टन है। इसका मूल्य 158 करोड़ रुपये है। हिमाचल नार्वे के साथ पहले से ही मछली उत्पादन क्षेत्र में कार्य कर रहा है और कुल्लू जिला के पतलीकूहल ट्राउट फार्म में ‘इंडो-नार्वेजियन ट्राउट फार्मिंग प्रोजेक्ट’ कार्यशील है। इस तरह की परियोजनाएं नार्वे के सहयोग से प्रदेश के अन्य भागों में भी स्थापित की जा सकती हैं।
नार्वे में भारत के राजदूत कृष्ण कुमार ने कहा कि नार्वे ऊर्जा नवीकरणीय, पर्यटन, साहसिक पर्यटन, स्की-रिजॉर्ट्स, नागरिक उड्डयन, सुरंग निर्माण और रज्जू मार्ग के क्षेत्र में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि नार्वे के विशेषज्ञों की सहायता से इन क्षेत्रों को विकसित किया जा सकता है।
सीरिया में भारत के राजदूत मनमोहन भनोट ने कहा कि सीरिया की खाद्य प्रसंस्करण, कृषि शोध जैसे मशरूम, आयुर्वेदिक उत्पाद और अर्द्ध कौशल कामगार क्षेत्रों में मजबूत क्षमता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल इन क्षेत्रों में उपलब्ध संभावनाओं का लाभ उठा सकता है।
दोनों राजदूतों ने बाद में जुन्गा और चायल के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया और सब्जी उत्पादन, जलापूर्ति योजनाओं और इको-टूरिज़म इकाईयों को देखा।अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं सचिव, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने राजदूतों के साथ गहन विचार-विमर्श किया।