( धनेश गौतम ) बेहद रोमांचक,जोखिम भरी और आस्था से परिपूर्ण श्रीखंड महादेव की यात्रा शुक्रवार को निरमंड के दशनामी अखाड़ा से अंबिका माता की छड़ी की रवानगी के साथ शुरू होगी। विश्व की सबसे कठिन यात्राओं में से एक श्रीखंड महादेव यात्रा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 15 से 30 जुलाई तक आयोजित की जाएगी। पिछले पांच वर्षों से ट्रस्ट के माध्यम से करवाई जा रही इस धार्मिक व ऐतिहासिक यात्रा को सफल रूप देने के लिए जिला प्रशासन पूरी तैयारियों में जुट गया हैं।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के अंतर्गत विकास खंड निरमंड में करीब 18 हजार फुट की उंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव के दर्शनों को प्रतिवर्ष देश व विदेश से श्रद्धालू पहुंचते हैं। विश्व भर में सबसे कठिन यात्रा में से एक श्रीखंड महादेव यात्रा को देखते हुए सरकार ने इस धार्मिक यात्रा को प्रशासन के सुपुर्द किया है। क्योंकि इस यात्रा में अब तक दर्जनों श्रद्धालू अपनी जान भी गंवा चुके हैं। इस धार्मिक यात्रा को सफल बनाने के लिए सिंघगाड़, थाचडू और भीमडवारी सहित पांच बेस कैंप होंगे। जहां डॉक्टरों की टीम के साथ, पुलिस व होमगार्ड के जवान और रेस्क्यू टीम के करीब 35 लोग मौजूद रहेंगे। यात्रा में जाने वाले यात्रियों को जत्थे में भेजा जाएगा।
जिन्हें सुबह बेस कैंप भीमडवारी से पांच बजे से नौ बजे तक भेजकर अंतिम जत्थे के साथ रैस्क्यू दल रवाना किया जाएगा। जिन्हें शाम को श्रीखंड महादेव के दर्शन कर वापिस भीमडवारी में ठहराकर वापिस रवाना किया जाएगा। प्रशासन ने यात्रियों से अपने साथ गर्म कपड़े, मोटी जुराबें, टार्च, डंडा और जरूरी दवाएं साथ रखने की हिदायद दी है,जो आपात स्थिति में यात्रियों के सहयोग के लिए कारगार सिद्ध होगी। इसके अलावा हर यात्रियों का मेडिकल चैकअप किया जाएगा और जो यात्रा मेडिकल फिट होगा उन्हें ही यात्रा में जाने की इजाजत दी जाएगी।
डीसी कुल्लू यूनुस ने बताया कि बाहरी यात्री सरकारी संस्थानों से अपना मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट ला सकते हैं। कुल्लू जिला में शिखर के रूप में विराजमान ऊंची चोटियों के मध्य में स्थित भगवान श्रीखंंड महादेव के दर्शन कर श्रद्धालू अपने आप के सौभग्यशाली मानते हैं। शिव की आराधना करते हुए भक्तजन यहां के संकरे मार्ग से आगे बढ़ते हुए प्रशासन की देखरेख में श्रीखंड महादेव के दर्शन करते हैं। एक दंत कथा के अनुसार जब प्रथम पूजन के बारे सब देवताओं के मध्य झगड़ा हुआ तो यह निर्णय लिया गया कि जो संपूर्ण धरती की परिक्रमा करके सबसे पहले लौटेगा वह प्रथम पूज्य होगा।
सभी देवता परिक्रमा करने निकल पड़े वहीं, गणपति ने एक पत्थर पर भगवान शिव का नाम लिखा और पत्थर की परिक्रमा कर शंख ध्वनि की। शंख ध्वनि की आवाज पूर्ण सृष्टि में गुंज उठी। उस समय भगवान शिव आगे और स्वामी कार्तिकेय इस नयनगिर पर्वत पर चल रहे थे। शंख ध्वनि की उस आवाज से दोनो यहां शैल रूप में विराजमान हो गए। वहीं उन्हें तलाश करने सप्तर्षि भी आए तो यहां आकर सप्तर्षि भी चोटियों के रूप में विराजमान हो गए। जिन्हें श्रीखंड यात्रा के दौरान सप्त ऋषि की पहाडियां, स्वामी कार्तिकेय और भगवान श्रीखंड के दर्शन देखने को मिलते हैं। मेडिकल में फिट श्रद्धालुओं को ही इस कठिन यात्रा में जाने की इजाजत दी जाएगी। बाहरी यात्री सरकारी संस्थानों से अपना मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट ला सकते हैं : यूनुस डीसी कुल्लू