हिमाचल प्रदेश को जन मामले सूचकांक (पीएसी) बैंगलुरू द्वारा जारी रिपोर्ट में देश के 12 छोटे राज्यों की श्रेणी में बाल अधिकार में सुशासन के लिए लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ आंका गया है।प्रशासनिक सुधार तथा भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान ने बैंगलुरू में हाल ही में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पीएसी के अध्यक्ष डॉ. के.कस्तूरी रंगन से प्रदेश की ओर यह पुरस्कार प्राप्त किया। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर कोयह पुरस्कार आज यहां मुख्य सचिव विनीत चौधरी तथा सचिव प्रशासनिक सुधार डॉ. पूर्णिमा चौहान ने सौंपा।
मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए राज्य के समस्त अधिकारियों को बधाई दी और कहा कि अधिकारियों को और अधिक प्रतिबद्धता एवं समर्पण के साथ कार्य करना चाहिए ताकि सरकार की कल्याणकारी नीतियों और विकासात्मक योजनाओं का लाभ आम जनमानस तक पहुंच सके। प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि बाल अधिकार के सूचकांक में हिमाचल प्रदेश ने प्रथम स्थान अर्जित किया है। देश में बाल अधिकार का कार्य एक महत्वपूर्ण विषय है तथा सभी राज्य इस दिशा में बेहतर कार्य करना चाहते हैं ताकि बच्चों को सुरक्षित भविष्य प्रदान किया जा सके।
वर्ष 2018 के लिए पीएआई की सूची में हिमाचल के बाद गोवा, मिजोरम, सिक्किम तथा त्रिपुरा हैं। गत वर्ष 82 सूचकों, 10 विषयों तथा 26 केन्द्रित विषयों के पीआईए पर आधारित सूची में हिमाचल प्रदेश प्रथम स्थान पर आंका गया था। हिमाचल प्रदेश द्वारा बेहतर प्रशासन में निरन्तर प्रदर्शन को आर्थिक, सामाजिक तथा लैंगिंक असमानता के न्यूनतम स्तर के लिए भी सराहा गया है। प्रदेश इन तीनों मानकों में श्रेष्ठ रहा है, जिसका प्रमाण राज्य की प्रगति का समग्र होना तथा प्रदेश के विकास में ‘लिविंग नो वन बिहाइंड’ के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) मिशन का सफल होना है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सुधार में (आवश्यक अधोसंरचना, मानव विकास के लिए सहयोग, सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल, अपराध, कानून एवं व्यवस्था, पर्यावरण तथा पारदर्शिता एवं दायित्व) जैसे सात विषयों (ऊर्जा, जल, सड़क, गृह, शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, अल्पसंख्यक कल्याण, रोज़गार, बाल, महिला, जघन्य अपराध, अत्याचार, पर्यावरणीय उल्लंघन, वन्य आवरण) जैसे 18 केन्द्रित विषयों तथा कुछ नीति आयोग सूचकों सहित 45 सूचकों पर आधारित जिला बेहतर प्रशासन सूचकांक (डीजीजीआई) में अग्रणी रहा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने डीजीजीआई प्रारूप रिपोर्ट को सिविल सेवा दिवस के अवसर पर 21 अप्रैल, 2018 को जारी किया था।प्रवक्ता ने कहा कि डीजीजीआई विकसित करने वाला प्रथम राज्य है। इससे उप-राज्य स्तर पर प्रशासन की गुणवत्ता में ज़िलों के प्रदर्शन के निष्पक्ष मूल्यांकन में सरकार के सहयोग के लिए डाटा एकत्रण तथा तुलनात्मक विश्लेषण में नए मानक स्थापित होंगे।