हिमाचल प्रदेश में मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत 21196 मी.टन फल की खरीद

 

प्रदेश सरकार ने बागवानी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए हैं जिसके फलस्वरूप कृषि एवं बागवानी उत्पादों की उत्पादकता में बढ़ोतरी के साथ-साथ किसानों और बागवानों को लाभप्रद मूल्य और अच्छी विपणन सुविधा सुनिश्चित हुई है।

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इस अवधि के दौरान एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अन्तर्गत संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के दृष्टिगत 48,297 वर्गमीटर अतिरिक्त क्षेत्र को हरित गृह के अन्तर्गत और 5,75,229 वर्गमीटर क्षेत्र को ओला अवरोधक जालियों के अधीन लाया गया। इस दौरान मिशन के अन्तर्गत कुल 4820 कृषक बागवानों को लाभान्वित किया गया। फल बागीचों के बेहतर प्रबन्धन के लिए 1115 शक्तिचालित मशीनें, 57 जल भण्डारण टैंक और सात खुम्ब इकाईयों के निमार्ण के लिए भी उपदान उपलब्ध करवाया गया।

बागवानी विभाग ने इस दौरान 16.84 लाख फल पौधे बागवानों को वितरित किए, जिनमें से पांच लाख पौधे सरकारी नर्सरी में तैयार किए गए। लगभग4813.41 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को बागवानी के अधीन लाया गया है।खुम्ब उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है राज्य सरकार

प्रदेश में मौनपालन को बागवानी की सहायक गतिविधि तथा स्वरोज़गार के साधन के रूप में प्रोत्साहित किया गया है। विभागीय मौनपालन केंद्रों में 6.08मी.टन और राज्य में 1,009.29 मी.टन का उत्पादन किया गया। खुम्ब उत्पादन को भी व्यापक स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है और वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान 10,961 मी.टन उत्पादन किया जा चुका है। फलदार पौधों में कीट-व्याधियों के नियन्त्रण के लिए फल उत्पादकों को 305.82 मी. टन पौध संरक्षण दवाईयां उपलब्ध करवाने पर 4.62 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया।

फल उत्पादकों को उनके उत्पाद का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए मण्डी मध्यस्थता योजना के अन्तर्गत सेब, आम तथा नीम्बू प्रजातीय फलों के लिए 367 प्रापण केन्द्र खोले गए हैं तथा इस दौरान बागवानों से 1589.66 लाख रुपये मूल्य का 21195.56 मी. टन फल खरीदा गया।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत औद्यानिकी विकास की परियोजनाओं के लिए 350 लाख रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत 353 शक्तिचालित और 303 हस्तचालित उपकरणों का वितरण किया जा चुका है।

प्रतिकूल मौसम या प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सेब, आम, आड़ू, पलम और नीम्बू प्रजातीय फलों के लिए राज्य के 110 विकास खण्डों में मौसम आधारित पुनर्गठित फसल बीमा योजना लागू की गई है जिसके अन्तर्गत उक्त अवधि के दौरान 1,61,524 किसानों को कवर किया गया। विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए सरकार ने बागवानी विभाग को  2.7 करोड़ रुपये जारी किए हैं।बागवानी के चहुंमुखी विकास के लिए प्रदेश सरकार की अनेक नई योजनाए

प्रदेश में बागवानी विकास के लिए 1134 करोड़ रुपये की विश्व बैंक पोषित हि.प्र. बागवानी विकास परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। परियोजना के अन्तर्गत बागवानों के 108 सम-शीतोषण एवं 28 उपोषणीय फलों के अंतर्गत समूह गठित किए गए है। बागवानी की आधुनिक तकनीक की जानकारी देने के लिए इस दौरान 58 विभागीय अधिकारियों को राज्य के बाहर प्रशिक्षित किया गया। इसके अतिरिक्त न्यूजीलैंड के विशेषज्ञों ने 320 विभागीय अधिकारियों व501 बागवानों को इस दौरान प्रशिक्षित किया।

प्रदेश के बागवानों को सामयिक तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए एमःकिसान योजना प्रारम्भ की गई जिसके अन्तर्गत 6,89,308 किसानों का पंजीकरण किया गया है ताकि बागवान अपनी समस्याओं का तत्काल समाधान प्राप्त करके सफलतापूर्वक फलोत्पादन कर सकें।

बागवानी के चहुंमुखी विकास के लिए प्रदेश सरकार ने अनेक नई योजनाएं आरंभ की हैं जिनमें 25 करोड़ रुपये की पुष्पक्रांति योजना दस-दस करोड़ रुपये लागत की मुख्यमंत्री हरितग्रह नवीनीकरण योजना, ओला अवरोधक जाली की स्थापना और मुख्यमंत्री मधु विकास योजना आदि शामिल हैं। प्रदेश के उपोषणीय क्षेत्रों में बागवानी विकास के लिए एशियन विकास बैंक की सहायता से 1688 करोड़ रुपये की परियोजना का प्रस्तावित हैं जबकि खुम्ब की कृषि के व्यापक विकास के लिए 423 करोड़ रुपये की खुम्ब विकास परियोजना भी केंद्र से स्वीकृत हो चुकी है।बागवानी का राज्य की आय में 5000 करोड़ का योगदान

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 2.30 लाख हैक्टेयर क्षेत्र बागवानी के अधीन है और फल उत्पादन बढ़कर 10.38 लाख मी.टन हो गया है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में लगभग 100 करोड़ रुपये मूल्य के फूलों का उत्पादन हुआ। बागवानी का राज्य की वार्षिक आय में लगभग 3000 करोड़ रुपये से 5000 करोड़ रुपये तक का योगदान है तथा औसतन 9 लाख लोगों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में रोज़गार मिल रहा है।

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