भारतीय संसद में शिमला संसदीय क्षेत्र के किसी भी सांसद को आज तक कभी मंत्री पद नहीं मिला। शिमला संसदीय क्षेत्र पर आरक्षित होने से पहले जिला सिरमौर का वर्चस्व रहा। 1952 के लोकसभा चुनाव में शिमला, सोलन व सिरमौर का क्षेत्र पंजाब प्रांत के अंबाला संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। 1957 में अंबाला संसदीय क्षेत्र से शिमला, सोलन व सिरमौर को अलग कर महासु संसदीय क्षेत्र बनाया गया।
इसके पहले सांसद डॉक्टर वाईएस परमार बने। उसके बाद 1959 डॉक्टर परमार ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। वह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये। डॉ. परमार के पद छोडने के बाद यह सीट रिक्त हो गई। उपचुनाव में नाहन के रहने वाले शिवानंद रमौल सांसद बने, जो कि 1962 तक सांसद रहे। उसके बाद यह महासु से शिमला संसदीय क्षेत्र बन गया और यह अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हो गई। शिमला संसदीय क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल लगभग 9292 वर्ग किलोमीटर में फैला है। जिसकी सीमाएं पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्यों से लगती है।
1962 में आरक्षित हुई थी शिमला सीट : 1962 में शिमला संसदीय सीट के आरक्षित होने के बाद 1962 में पहली बार नाहन के समीप बनकला पंचायत के मालोवाला गांव के प्रताप सिंह सांसद बने। जो कि 1971 व 1977 दोबरा सांसद चुने गये। जिला शिमला को शिमला संसदीय सीट से केवल एक बार ही सांसद बनाने का मौका मिला। 1977 से 1979 तक शिमला जिला के अनाडेल समीप कैथू निवासी बालक राम भारतीय लोकदल से सांसद रहे।
1980 से लेकर 1998 तक सोलन जिला के कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी शिमला आरक्षित सीट से 6 बार सांसद चुने गए। 1999 में धनीराम शांडिल हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे। उसके बाद 2004 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर धनीराम शांडिल दोबारा सांसद बने। भाजपा ने शिमला संसदीय सीट पर 2009 में पहली बार अपना खाता खोला। वीरेंद्र कश्यप पहली बार शिमला आरक्षित सीट से सांसद बने। 2014 में मोदी लहर में पुन: वीरेंद्र कश्यप सांसद चुने गए।
शिमला संसदीय क्षेत्र में है 17 विधानसभा क्षेत्र : शिमला संसदीय क्षेत्र में शिमला, सोलन व सिरमौर जिला के 17 विधानसभा क्षेत्र आते है, जिसमेेंं पच्छाद, श्रीरेणुकाजी, कसौली, रामपुर व रोहडू विस क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। शिमला संसदीय क्षेत्र में जिला सिरमौर की पच्छाद, नाहन, श्रीरेणुकाजी, पांवटा साहिब व शिलाई, सोलन जिला से अर्की, नालागढ़, बद्दी-दून, सोलन व कसौली तथा शिमला जिला के चौपाल, ठियोग, शिमला शहरी, शिमला ग्रामीण, जुब्बल-कोटखाई, रोहडू व कुस्मपटी विस आते है।
सोलन-सिरमौर जिलों का रहा वर्चस्व : शिमला संसदीय क्षेत्र में सांसद बनने का मौका सबसे से अधिक सोलन जिला को मिला है। सोलन जिला के कृष्ण दत सुल्तानपुरी 18 वर्षों में 6 बार सांसद बने। सोलन जिला के ही धनीराम शांडिल दस वर्षों तक दो बार सांसद रहे। पिछले एक दशक से सोलन जिला के विरेंद्र कश्यप सांसद है। कुल मिलाकर सोलन जिला ने 39 वर्षों से शिमला संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा है। शिमला जिला के अब तक एक बार ही अढाई साल के लिए बालक राम को सांसद बनने का मौका मिला है। जबकि जिला सिरमौर ने 20 वर्षों तक संसदीय सीट का नेतृत्व किया है। जिसमें 15 वर्षों तक नाहन के प्रताप सिंह, अढाई वर्ष तक पच्छाद के डॉ. वाईएस परमार व अढाई वर्ष नाहन के शिवानंद रमौल का कार्यकाल शामिल है।
शिमला संसदीय क्षेत्र से अब तक रहे सांसद
1952 में अंबाला-शिमला सीट से कांग्रेस के टेकचंद
1957 में महासू लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के डॉ.वाईएस परमार
1959 में माहसू लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस के शिवानंद रमोल
1962 में 1977 तक शिमला लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रताप सिंह
1977 से 1979 तक भारतीय लोकदल के बालक राम
1980 से 1998 कांग्रेस के कृष्ण दत सुल्तानपुरी
1999 से 2004 तक हिविका के धनीराम शांडिल
2004 से 2009 तक कांग्रेस के धनीराम शांडिल
2009 से 2019 तक भाजपा के वीरेंद्र कश्यप