मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (एचएमसीओएसटी), हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हिमाचल प्रदेश पर्यावरण उत्कृष्टता पुरस्कार 2018-19 के वितरण समारोह की अध्यक्षता की।
जय राम ठाकुर ने इस अवसर पर जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जिसमें शहर के 30 स्कूलों के लगभग 600 विद्यार्थियों ने भाग लिया। उन्होंने ‘पर्यावरण उत्कृष्टता पर सर्वोत्तम प्रथाओं का संकलन’ पुस्तक के अलावा अन्य जागरूकता प्रकाशन सामग्री का भी विमोचन किया। उन्होंने राज्य में पर्यावरण संरक्षण और सत्त विकास को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों और व्यक्तियों द्वारा उल्लेखनीय योगदान के लिए विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए। उन्होंने विजेताओं को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह के साथ-साथ नगद पुरस्कार प्रदान किए जिसमें प्रथम को 50,000 रुपये तथा द्वितीय को 25,000 रुपये शामिल है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि राज्य सरकार निर्धारित मूल्य पर नॉन-रिसाइक्लिबल पॉलीथीन को वापिस खरीदेगी। इसके अलावा, उन्होंने पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा निर्मित किए गए नए बैग का भी शुभारम्भ किया।
विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी को बधाई देने के उपरान्त पर्यावरण के संरक्षण में विभिन्न हितधारकों के योगदान की सराहना करते हुए जय राम ठाकुर ने कहा कि भारत स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण के बीच ज्ञान प्राप्त करने वाले संतों और ऋषियों का देश है। उन्होंने कहा कि हमने वर्षों में उल्लेखनीय विकास हासिल किया है लेकिन प्रकृति में दखल के कारण पर्यावरण में गिरावट आई है। राज्य में आज पर्यावरण सम्बन्धित कई चुनौतियां हैं और हमें इन पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करना चाहिए ताकि प्रकृति को और नुकसान से बचाया जा सके।
जय राम ठाकुर ने प्रदेश में लोगों द्वारा प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध सुनिश्चित करने के लिए दिए गए सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए जाना जाता है तथा देश-विदेश से पर्यटक प्रदेश के विभिन्न स्थलों में भ्रमण करने आते हैं इसलिए हमारा दायित्व है कि हम प्रदेश में उन्हें बेहतर सुविधाएं देने के साथ-साथ स्वच्छ एवं स्वास्थ्यवर्धक पर्यावरण कायम रखने में अपना योगदान दे। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि पर्यावरण सुरक्षा तथा स्वच्छता कायम रखने में सरकार के प्रयासों का सहयोग करे।
मुख्यमंत्री ने ‘वाटर प्यूरिफिकेशन इनविगोरेटिव योजना’ का शुभारम्भ किया जिसके तहत विभिन्न नदियों की धाराओं के दूषित जल के प्रबन्धन के लिए 38 प्रकार के पौधों को चिन्हित किया गया है। प्रथम चरण में यह योजना सूखना नाला (परमाणु), मारकण्डा नदी (काला अम्ब)तथा सिरसा नदी (बद्दी) में और इनके आस-पास आरम्भ की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने एक दैनिक समाचार पत्र में छपे समाचार का संज्ञान लेने के उपरान्त ‘मुख्यमंत्री हरित तकनीक हस्तांतरण योजना’ के अन्तर्गत सहायता स्वरूप जिला बिलासपुर के घुमारवीं के महिला स्वयं सहायता समूह ‘मुस्कान’ को पत्तल एवं डोना बनाने की मशीन वितरित की।
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आर.डी. धीमान ने कहा कि वैश्विक उष्मीकरण पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि, उद्योग इत्यादि क्षेत्रों में चुनौतियां सामने आई हैं तथा हम प्रदेश में पर्यावरण सुरक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग प्रदेश में स्वच्छ पर्यावरण कायम रखने तथा प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सभी हितधारकों के साथ मिल-जुल कर कार्य कर रहा है।
आयोजन के दौरान प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए किए जा रहे श्रेष्ठ कार्यों पर प्रस्तुतियां दीं।
इस अवसर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदेश के लोगों में वायु तथा जल प्रदूषण और कचरा प्रबन्धन से संबंधित मुददों पर जागरूगता सृजित करने के लिए प्रदर्शनी व तकनीकी प्रदर्शन का आयोजन किया।
पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक डी.सी. राणा ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा उन्हें सम्मानित किया।
इसके अतिरिक्त वनस्पति खाद तकनीकों, पॉली-इंटों, गोबर निर्मित घड़ों इत्यादि को विभाग द्वारा आयोजित की गई प्रदशर्नी में प्रदर्शित किया गया।
नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट, उप-महापौर राकेश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परीवन गुप्ता, मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव विनय सिंह तथा राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।