( नीना गौतम ) एक तरफ सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार लगाकर व नुक्कड़ नाटक करवा कर लाखों रुपए खर्च कर रही है ताकि प्रदेश के पर्यटन को पटरी पर लाया जा सके तो दूसरी तरफ करोड़ों की संपति पर बड़े लोगों की हेकड़ी का कब्जा है। हैरानी इस बात की है कि पर्यटन को पंख लगाने की हर दिन घोषणा करने बाली सरकार के नाक तले पर्यटन निगम की संपति लावारिस बनती जा रही है। कुल्लू-मनाली प्रदेश के पर्यटन का हब है और ढालपुर मैदान में पर्यटन निगम का सोने का अंडा देने बाले कैफे को जाने बाला रास्ता ही बंद है। यही नहीं जिला में पर्यटन निगम का मार्केटिंग कार्यालय व इंफॉर्मेशन सेंटर भी इसी कैफे में है और यहां कैफे के चारों ओर नगर परिषद का कब्जा है और कैफे को जाने का रास्ता ढूंढे नहीं मिलता।
नगर परिषद ने कैफे के बाहर बाली भूमि पर पार्किंग स्थापित कर कब्जा कर लिया है। सबसे बड़ी हैरानी इस बात की है कि किसी ने वाहनों की रेलमपेल के बीच कैफे जाने का रास्ता तलाश कर भी लिया तो 15 रुपए की चाय पीने के लिए पहले गाड़ी पार्क करने के 50 से 100 रुपए अदा करने पड़ते हैं। दरअसल कैफे के बाहर ढालपुर मैदान है जो रफायेआम है और नगर परिषद ने यहां अपना कब्जा कर रखा है तथा यहां पार्किंग स्थल बनाया है। इस पार्किंग स्थल को आगे ठेके पर दिया गया है। पहले पर्यटन निगम ने अपने कैफे व मार्केटिंग कार्यालय के बाहर यलो लाइन दे रखी थी जिसके अंदर यहां आने बाले लोग कुछ समय के लिए अपनी गाड़ी पार्क करते थे और अपना काम निपटा कर चले जाते थे।
लेकिन वर्तमान में पर्यटन निगम ने भी खड़े हाथ कर दिए हैं और यहांगाडिय़ां अंदर तक इस कद्र पार्क करवाई जाती है कि कैफे में जाने के लिएरास्ता तक नहीं रखा जाता है। ऐसी स्थिति में पर्यटन निगम को लाखों काचुना लग रहा है और दूसरी तरफ पार्किंग का ठेकेदार लाखों रुपए नगर परिषद व प्रशासन के आशीर्वाद से कमा रहे है। यहां पर्यटकों को मार्केटिंगकार्यालय व कैफे में चाय पीने के लिए गाडिय़ों के बीच से गुजरना पड़ता है।उधर अब कुल्लू स्थित पर्यटन निगम का होटल सिल्वर मून भी ऊंची पहुंच बाले लोगों की हेकड़ी का अड्डा बन गया है। बताया जा रहा है कि होटल के पूरे रास्ते व होटल की पार्किंग में पहुंच बाले लोगों की गाडिय़ों की भरमारहोती है। यदि बाहर से कोई गेस्ट आ भी गया तो उसे सबसे पहले होटल जाने के लिए रास्ता ही नहीं मिलता। यदि किसी तरीके से होटल तक वाहन पहुंचा भी दिया तो वहां गाड़ी पार्क करने के लिए जगह तक नहीं मिल पाती। क्यूंकि पहुंच बाले लोग पूरे परिसर में अपना वाहन पार्क करके गहरी नींद सो जाते हैं।
यदि पर्यटन नगरी कुल्लू-मनाली में ही ऐसे हाल हो तो अन्य जगह के पर्यटन का आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं। यदि निगम,विभाग व प्रशासन इन रमणीय स्थलों की ही रक्षा नहीं कर सकते हैं तो पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगाए जा रहे उन शिविरों का क्या औचित्य रह गया है जिन पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। सनद रहे कि ढालपुर मैदान कुल्लू शहर का दिल माना जाता है और यहीं पर पर्यटन निगम का यह कैफे भी हैं। प्राइम लुकेशन पर पर्यटन निगम की यह संपति पर्यटन को पंख लगा सकती है।
यही नहीं सभी सरकारी,गैर सरकारी लोग,अधिकारी व नेता भी इसी कैफे में ब्रेकफास्ट,लंच,डिन्नर व चाय-पान के लिए अक्सर जाते रहते हैं और यहां की इस स्थिति से भली भांति परिचित है लेकिन किसी ने भी यहां की दशा सुधारने की जहमत नहीं उठाई। हैरानी इस बात की भी है कि नगर परिषद के उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत इससे पहले पर्यटन निगम के निदेशक पद पर रहे हैं। उन्हें भी इस समय ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की चिंता है न कि पर्यटन निगम की। यही कारण है कि जब भी उनसे इस बारे पुछा जाता है तो उनका एक ही जवाब रहता है कि यह पार्किंग लाखों में ठेके पर दी है तो अब ठेकेदार ने भी अपने पैसे पूरे करने है। उधर स्थानीय लोगों ने उपायुक्त ऋचा वर्मा से अपील की है कि इस पर कड़ी करवाई करें और पर्यटन निगम के कैफे व होटल सिल्वर मून को अवैध कब्जों से छुटकारा दिलवाएं।