पांवटा साहिब में कांवड़ियों का हुड़दंग, पुलिस से हुई झड़प

पांवटा साहिब के बस स्टैंड पर तेज आवाज़ में डीजे और शोर-शराबा करते हुए जा रहे कांवरियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई झड़प का कारण था कावड़िए बीच बाजार से डीजे चलाते हुए जाना चाह रहे थे लेकिन पुलिस ने ऐसा करने से उन्हें मना कर दिया।

कभी आस्था का प्रतीक रही कावड़ यात्रा आज हुड़दंग का रूप लेती जा रही है पांवटा साहिब में चारों ओर बेहद तेज आवाज में डीजे और बाइकों के साइलेंसर निकाल कर पटाखे चलाते कावड़िए खुलेआम घूम रहे हैं जिन पर पुलिस भी कार्रवाई करने से कतरा रही है यही कारण है कि शहर में कावड़ियों का आतंक बढ़ता जा रहा है।

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शनिवार तकरीबन 4:30 बजे पुलिस और कावड़ियों के बीच उस वक्त झड़प हो गई जब कांवडियों ने बस स्टैंड पर जाम लगा दिया दरअसल कावड़िए जिद कर रहे थे कि बीच बाजार से डीजे चलाते हुए उन्हें जाने दिया जाए जिसको लेकर पुलिस ने मना कर दिया और कावड़ियों ने बस स्टैंड पर जाम लगा दिया हालाकी पुलिस ने जब थोड़ी सख्ती दिखाई तो जाम के साथ-साथ कावड़ियों को भी वापिस नेशनल हाईवे की ओर जाना पड़ा।

बता दें कि पांवटा साहिब में पिछले कुछ दिनों से लगातार कावड़ यात्रा के नाम पर बुरी तरह से उत्पात मचाया जा रहा है स्थानीय प्रशासन हो या पुलिस पूरी तरह से आंखों पर पट्टी बांधकर तमाशा देख रहे हैं दरअसल कावड़ के नाम पर कांवडियों ने अपनी बाइकों के साइलेंसर उतार दिए हैं जिसके कारण तेज आवाज और पटाखे पूरे पांवटा शहर में सुनाई दे रहे हैं सिर्फ इतना ही नहीं तेज आवाज में डीजे चलाकर नेशनल हाईवे पर नाचते हुए कावड़ ले जा रहे हैं जिसके कारण लंबा जाम भी हर रोज लग रहा है।

वही इस बारे में स्थानीय लोगों जो मौके पर मौजूद थे सुरेंद्र सिंह, दीपक कुकरेजा, तनवीर चौधरी, संतराम, बलविंदर सिंह, बलबीर तोमर, तनु और कई टैक्सी चालकों ने बताया कि पिछले कई दिनों से कावड़ यात्रा के नाम पर शहर में हुड़दंग मचाया जा रहा है ना तो स्थानीय प्रशासन इस पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है और ना ही पुलिस कोई कार्रवाई करती नजर आ रही है हर रोज बाइकों के साइलेंसर निकालकर तीन तीन लोग बिना हेलमेट के शहर भर में दौड़ रहे हैं ना तो इनके चालान हो रहे हैं और ना ही कोई सख्त कार्रवाई।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस को नियमों का उलंघन करने वाले कावड़ियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए शहर भर में कावड़ यात्रा के नाम पर नियमों का उल्लंघन हो रहा है कहीं यही परंपरा ना बन जाए।

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