हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड राज्य की सीमा को जोडऩे वाला यमुना नदी पर बने लगभग पांच दशक पुराना पुल खतरे की जद में है। बेलगाम खनन माफिया और सुस्त जिम्मेदार विभागों की लापरवाही पुल के अस्तित्त्व पर खतरा बन गई है। इस पुल पर क्षमता से अधिक भार वाले हजारों वाहन प्रतिदिन गुजर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अधिक भार से पुल लगातार कमजोर हो रहा है। ऐसे में पुल को कभी भी बड़ा नुकसान हो सकता है। बता दें कि यह पुल भारी वाहन 16 चक्का, 20 चक्का ओवरलोड भरे वाहनों के चलते खतरे में है। दोनों राज्यों की सीमाओं को जोडऩे वाले इस पुल का कुछ हिस्सा हिमाचल प्रदेश का है और कुछ हिस्सा उत्तराखंड राज्य का है, लेकिन दोनों ही राज्य के शासन-प्रशासन में प्रतिनिधित्व करने वाले अपनी आंखें मूंदे बिल्कुल अनजान बने बैठे हैं।
पुल की इस दयनीय हालत को महसूस करते हुए कई समाजसेवी संस्था के पदाधिकारियों ने डीसी सिरमौर, एसपी सिरमौर और एसडीएम पांवटा समेत कई संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखकर चेताया भी था और उचित कार्रवाई करने के लिए भी कहा था। कुछ समय पूर्व पीडब्ल्यूडी और राष्ट्रीय राजमार्ग के विशेषज्ञों की टीम ने यह माना था कि पुल को अत्याधिक कंपन से रोकने के लिए भारी डंपर और ओवरलोड वाहनों का पुल पर प्रवेश वर्जित कर दिया जाना चाहिए। भविष्य में किसी होने वाली अप्रिय घटना से बचने के लिए रामपुरघाट पर भारी वाहनों की आवाजाही के लिए एक पुल का निर्माण भी होना चाहिए। बावजूद इसके शासन-प्रशासन की अनदेखी का आलम इतना है कि कोई भी इस मामले को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है। उधर एसडीओ एनएच नितेश शर्मा ने बताया कि पुल की लगातार जांच की जाती है और रिपेयरिंग वर्क समय-समय में किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस पुल के काम को लेकर 17 मार्च, 2023 को उपायुक्त सिरमौर कार्यालय में डीसी सिरमौर के साथ एक बैठक की गई थी, जिसमें उत्तराखंड के विकासनगर के एसडीएम व हरियाणा के सिंचाई विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पुल की मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल पुल को ऐसा कोई खतरा नहीं है।