हाटी समुदाय को एसटी दर्जा क्यों न मिले, इस पर गुर्जर समुदाय ने रखी दलील

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में शुक्रवार को हाटी समुदाय के मामले पर सुुनवाई हुई। हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा क्यों न मिले, इसे लेकर गुर्जर समुदाय ने अदालत के समक्ष तर्क रखे। सोमवार को इस मामले के सांविधानिक पहलू पर बहस होगी। उसके बाद हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा क्यों मिलना चाहिए, इस पर बाकी पक्ष अपनी दलीलें रखेगें। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है।

सिरमौर जिले के गिरीपार के हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा देने को लेकर जारी अधिसूचना पर हिमाचल हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। गुर्जर समाज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एसटी का दर्जा देेते समय उस क्षेत्र की भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक कर्मकांड, सांस्कृतिक और रीति-रिवाज जैसी परिस्थितियों को देखा जाता है। चूने के पत्थर से लेकर अन्य फसलों में सिरमौर प्रदेश के दूसरे जिलों से भी कई बेहतर है। शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों की बात करें तो इसकी औसत भी लगभग दूसरे कई जिलों से अच्छी है। यहां पर जिन गांवों को एसटी का दर्जा दिया गया है, उनमें से बहुत से लोग संपंन है।

कमरउ गांव एशिया के सबसे अमीर गांवों में से एक है। 138 हेक्टेयर जमीन प्रभावशाली लोगों के पास, सिर्फ 10 हेक्टेयर अन्य तबके के पास है। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय प्रशिक्षण अनुसंधान संस्थान की ओर से तैयार की गई प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यह बताया गया है कि एसटी का दर्जा देते वक्त पुराने डाटा को ध्यान में रखा जाए, लेकिन केंद्र सरकार ने एसटी का दर्जा देते वक्त इसको कंसीडर नहीं किया। हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा प्रस्तावित मापदंडों पर खरा नहीं उतरता।

गुर्जर समुदाय का विरोध :
गुर्जर समाज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत में तर्क दिया कि हाटी एक क्षेत्रीय नाम है न कि जातीय। उन्होंने कहा कि एसटी दर्जा देते समय क्षेत्र की भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। गुर्जर समुदाय का दावा है कि यहां इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

मापदंडों पर खरा न उतरने का आरोप
अधिवक्ता ने कहा कि हाटी समुदाय का रहन-सहन और जीवन यापन प्रदेश के अन्य जिलों के लोगों के समान ही है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश जनजातीय प्रशिक्षण अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एसटी दर्जा देते समय पुराने डाटा को ध्यान में रखना चाहिए। केंद्र सरकार ने यह प्रक्रिया नहीं अपनाई।

गुर्जर समुदाय का तर्क है कि हाटी समुदाय को एसटी दर्जा देना प्रस्तावित मापदंडों पर खरा नहीं उतरता। एसटी दर्जे के लिए शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन सहित कई मानक हैं। केंद्र सरकार ने इन मानकों की अनदेखी की है। मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।

Related Posts

Next Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!