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हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) में करोड़ों की गड़बड़ी का मामला सामने आया है. बोर्ड के चेयरमैन संजय गुप्ता की शिकायत पर विजिलेंस ने बोर्ड के तत्कालीन अधिकारियों और एक निजी कंपनी के दो निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
मिली जानकारी के अनुसार विजिलेंस मुख्यालय को मार्च 2025 में शिकायत मिली थी कि बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने बरोटीवाला स्थित एक इस्पात कम्पनी को नियमों के विपरीत लाभ पहुंचाया है. इस शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच हुई और सरकार से अनुमति लेने के बाद विजिलेंस ने मामला दर्ज किया. एफआईआर में तीन तत्कालीन अधिकारियों सहित अज्ञात अधिकारियों को नामजद किया गया है.
बिजली बोर्ड को 11.84 करोड़ का नुकसान
शिकायत में आरोप है कि एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की बिजली सप्लाई 6 अक्टूबर 2012 को लंबित बकाया राशि चुकाए बिना ही दोबारा जोड़ दी गई. इसके बाद कंपनी ने बिल का भुगतान चेक से शुरू किया. बाद में चेक भी बाउंस हो गए थे. कुछ समय बाद कंपनी डिफॉल्ट कर गई. बिजली बोर्ड इलेक्ट्रिसिटी बिल का पैसा नहीं वसूल पाया था. इस कंपनी पर 11.84 करोड़ रुपये का बिल बकाया रह गया.
मामले में हुई FIR
मामले में हुई FIR (ETV Bharat)
नियमों को ताक पर रख कर हुआ काम
बिजली की पुनर्बहाली के लिए वित्त एवं लेखा शाखा से अनिवार्य मंजूरी नहीं ली गई. ये पूरा काम नियमों को ताक पर रखकर मात्र एक ही दिन में जल्दबाजी में किया गया. इस तरह कंपनी को अनुचित लाभ दिया गया. जांच में यह भी सामने आया कि बरोटीवाला विद्युत उपमंडल ने कंपनी के खातों का ठीक से मिलान तक नहीं किया. विजिलेंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सब कुछ बोर्ड के तत्कालीन सीएमडी की मंजूरी से हुआ, जो सप्लाई कोड 2009 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन था. विजिलेंस ने अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है. इस कार्रवाई से बिजली बोर्ड के भीतर हड़कंप मच गया है.
बिजली बोर्ड के इन इंजीनियरों पर FIR
इस मामले में बिजली बोर्ड के चेयरमैन संजय गुप्ता ने राजेश कुमार ठाकुर, तत्कालीन चीफ इंजीनियर (ऑपरेशन), अनूप धीमान तत्कालीन अधीक्षण अभियंता (ऑपरेशन), वाईआर शर्मा, तत्कालीन चीफ इंजीनियर (कॉमर्शियल), मैसर्स गिलवर्ट इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अभिनव मौदगिल, उमेश मौदगिल और बिजली बोर्ड के अन्य अज्ञात अधिकारियों व कर्मचारियों पर मामला दर्ज कराया है. यानी जांच में जैसे जैसे दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आएंगे, उन्हें भी इस केस में नामजद किया जाएगा. बता दें कि, बिजली बोर्ड के एमडी ने मार्च माह में अतिरिक्त मुख्य सचिव होम डिपार्टमेंट को इस मामले की जांच के लिए पत्र लिखा था. विजिलेंस ने प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद आज FIR दर्ज की है.