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टीईटी (टैट) मामले में राष्ट्रपति कार्यालय एक्शन में आ गया है। राष्ट्रपति सचिवालय ने ज्ञापन संख्या पीआरएसईसी/ई/2025/0054763 पर कार्रवाई करते हुए यह मामला विधि मंत्रालय, नई दिल्ली को भेजा है। इस प्रकरण पर लोक शिकायत अधिकारी देवांशु कुमार द्वारा 16 अक्तूबर 2025 को कार्रवाई की गई है। यह ज्ञापन हिमाचल प्रदेश राजकीय टीजीटी कला संघ महासचिव विजय हीर द्वारा भेजा गया था। हीर ने राष्ट्रपति कार्यालय से मांग की थी कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन कर वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा से छूट देने का स्पष्ट प्रावधान किया जाए।
उन्होंने कहा है कि उनकी इस मांग पर कार्रवाई करते हुए इस मामले को विधि मंत्रालय को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 से पहले चयन आयोगों और बोर्डों की लिखित परीक्षाओं से चयनित शिक्षक पहले ही पात्र माने गए थे, क्योंकि उस समय एनसीटीई के पुराने नियम लागू थे और टीईटी परीक्षा अस्तित्व में नहीं थी। हीर ने कहा कि अब ऐसे शिक्षकों से टीईटी परीक्षा पास करवाने की बाध्यता अनुचित है, क्योंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 23 के अनुसार यह नियम 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होता। इसके बावजूद कई राज्यों में इन शिक्षकों को टैट देने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जिससे उनकी पदोन्नति, वेतन वृद्धि और सेवा सुरक्षा प्रभावित हो रही है।
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस विषय पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन लाकर स्थिति स्पष्ट की जाए और 2010 से पहले नियुक्त सभी शिक्षकों को टैट से छूट प्रदान की जाए। विजय हीर ने कहा कि ज्ञापन पर पहले प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा ज्ञापन संख्या पीएमओ पीजी/ई/2025/0143597 पर कार्रवाई कर चुका है, जिसके तहत यह ज्ञापन स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, समग्र शिक्षा, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नोडल अधिकारी बिपिन कुमार लाडिया को भेजा गया है।