22 वर्षीय रिया को गूगल में 57 लाख का मिला पैकेज, राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से नवाजी

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हिमाचल की वादियों में बसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी ने एक बार फिर देश को प्रतिभा की मिसाल दी है। इस बार चमकी हैं हरियाणा की बेटी रिया अरोड़ा। जिन्होंने अपनी काबिलियत समर्पण और मेहनत के बल पर मात्र 22 वर्ष की आयु में गूगल जैसी प्रतिष्ठित टेक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर का पद हासिल किया है। रिया को 57 लाख रुपये वार्षिक पैकेज की पेशकश मिली है। यह उपलब्धि केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि प्रदेश और देश की उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणा बन गई है जो बड़े सपने देखती हैं और उन्हें साकार करने की हिम्मत रखती हैं।

डिग्री से पहले ही मिली नौकरी

रिया अरोड़ा का चयन डिग्री पूरी होने से चार महीने पहले ही हो गया था। वीरवार को आयोजित आईआईटी मंडी के 13वें दीक्षांत समारोह में उन्हें राष्ट्रपति स्वर्ण पदक और संस्थान रजत पदक से सम्मानित किया गया। इस मौके पर रिया ने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे यादगार क्षण है। जो कुछ सीखा, यहीं आईआईटी मंडी में सीखा। यहां की पढ़ाई, प्रोफेसर और माहौल ने मुझे आत्मविश्वासी बनाया। मेहनत और ईमानदारी से हर कोई अपने सपने पूरे कर सकता है।

रिया के पिता डॉ हरिंद्र पाल और माता गुंजन अरोड़ा ने बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि रिया ने जिस लगन और अनुशासन के साथ काम किया है, वह हर माता-पिता के लिए प्रेरणा है। उसने हमारे साथ.साथ प्रदेश और देश का नाम ऊंचा किया है।

रिया की शुरुआती शिक्षा सोनीपत के शिवा शिक्षा सदन में हुई। वहीं से उन्होंने इंजीनियरिंग का सपना देखा था। 12वीं के बाद उन्हें आईआईटी मंडी में दाखिला मिला और यहीं से उन्होंने अपने सपनों को आकार दिया। रिया की उपलब्धि इस बात का प्रतीक है कि प्रदेश की बेटियां अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। चाहे वह विज्ञान, तकनीक, शोध या प्रबंधन हो। वे हर मंच पर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं।

संस्थान के अन्य छात्रों ने भी इस दीक्षांत समारोह में अपनी सफलता की नई कहानियां लिखीं। वैभव केशरवानी, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज निवासी को मुंबई की एक निजी कंपनी में 22 लाख रुपये का वार्षिक पैकेज मिला है। उनका सपना अपनी खुद की टेक कंपनी स्थापित करने का है। वहीं, हरियाणा के रतिया निवासी भाव्या को सिंगापुर की एनटीयू यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए एक करोड़ रुपये की अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति मिली है। वह देशभर की जेआरएफ परीक्षा में 58वें स्थान पर रहे थे।

आईआईटी मंडी के निदेशक ने कहा कि यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि देश की नई पीढ़ी वैश्विक मंच पर अपनी पहचान मजबूत कर रही है। उन्होंने कहा कि रिया वैभव और भाव्या जैसे छात्र हमारे संस्थान के गौरव हैं। ये युवा भारत की तकनीकी क्षमता का असली चेहरा हैं।

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