सोलन में 5 फार्मा उद्योग हुए बंद, 500 से अधिक कामगार बेरोजगार

Khabron wala 

सोलन में 5 फार्मा उद्योग अचानक बंद होने से 500 से अधिक कामगार बेरोजगार हो गए हैं। इन उद्योगों द्वारा संशोधित अनुसूची एम के मानक पूरे नहीं किए। केन्द्रीय दवा नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इन मानकों को पूरा करने के लिए 31 दिसम्बर तक समय दिया था। 1 जनवरी से ऐसे उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई होनी थी। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने राज्य दवा नियंत्रक को इन इकाइयों की जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन कर रही हैं। बड़े दवा निर्माताओं के लिए यह पहले ही लागू हो चुका था, और अब छोटे व मध्यम फार्मा उद्योग ( 250 करोड़ या उससे कम टर्नओवर) के लिए भी यह डैडलाइन 31 दिसम्बर खत्म हो रही है, जिसके बाद उनका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षण और कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।

ये निर्देश खास तौर पर उन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए हैं, जिन्होंने रिवाइज्ड शैड्यूल एम के लिए एक्सटैंशन मांगा था। इनके लिए नया नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने साफ कहा कि ऐसी यूनिट्स की जांच शुरू करें और चैक करें कि वे नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं। दवा कंपनियों को इन नए, सख्त गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा, और जो छोटी कंपनियां अभी तक अनुपालन नहीं कर पाई हैं, उनकी अब जांच की जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

छोटी कंपनियों के लिए ग्रेस पीरियड खत्म हो गया है। इससे बचने के लिए ऐसे उद्योगों ने अपना कारोबार हिमाचल से समेटना शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में ऐसे उद्योगों की संख्या बढ़ रही है। सोलन में बंद हुए सभी उद्योग किराए के मकानों में चले हुए थे। ऐसे इन उद्योगों के लिए इन मानकों को पूरा करना आसान नहीं था। हालांकि यह सभी उद्योग लाभ में चले हुए थे। एक जनवरी से देश भर में बड़े उद्योगों की तरह मध्यम व छोटे उद्योगों में नई जी.एम.पी. (अच्छे विनिर्माण अभ्यास) से दवाओं को उत्पादन किया जाएगा।

संशोधित अनुसूची एम दवा और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 1945 के तहत जीएमपी के नियमों का एक नया, अपडेटिड सैट है। जो फार्मा कंपनियों के लिए गुणवत्ता, सुरक्षा और वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है, जिसमें अब फार्मास्युटिकल क्वालिटी सिस्टम, क्वालिटी रिस्क मैनेजमैंट, उत्पाद गुणवत्ता समीक्षा और कम्प्यूटरीकृत सिस्टम जैसे आधुनिक पहलू शामिल किए गए हैं, ताकि भारतीय दवाएं विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और सुरक्षित बन सकें।

क्या है संशोधित अनुसूची एम?

यह भारतीय दवा उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए जीएमपी (अच्छे विनिर्माण अभ्यास) और परिसर, संयंत्र और उपकरण के लिए नए मानक निर्धारित करती है। बड़े निर्माताओं ( 250 करोड़ से अधिक टर्नओवर) के लिए यह नियम 1 जनवरी 2025 से लागू हो गया है। एमएसएमई (250 करोड़ या उससे कम टर्नओवर) के लिए 31 दिसम्बर 2025 तक का विस्तार दिया गया था। रिवाइज्ड शैड्यूल एम को हैल्थ मिनिस्ट्री ने दिसम्बर 2023 में नोटिफाई किया था। बड़े दवा निर्माताओं के लिए यह नियम 1 जनवरी 2025 से ही लागू हो गए। लेकिन माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज वाली कंपनियों को 31 दिसम्बर तक की मोहलत मिली थी। ये वे कंपनियां हैं, जिनका सालाना टर्नओवर 250 करोड़ रुपए या उससे कम है। उनकी डैडलाइन 31 दिसम्बर 2025 तक थी।

राज्य दवा नियंत्रक बद्दी मनीष कपूर का कहना है कि जिन दवा उद्योगों ने संशोधित अनुसूची एम के मानकों को पूरा नहीं किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यही कारण है कि कई फार्मा उद्योग बंद भी हो गए हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने साफ कहा कि ऐसी यूनिट्स की जांच शुरू करें और चैक करें कि वे नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं। दवा कंपनियों को इन नए सख्त गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा और जो छोटी कंपनियां अभी तक अनुपालन नहीं कर पाई हैं, उनकी अब जांच की जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

 

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