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देवभूमि हिमाचल इस वक्त एक दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ आसमान से बरसों की प्यास बुझाने वाली बूंदें नहीं टपक रही हैं, तो दूसरी तरफ मैदानी इलाकों को सफेद कोहरे की चादर ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। आलम यह है कि सूरज की किरणें भी अब कोहरे के अभेद्य किले को भेदने में नाकाम साबित हो रही हैं, जिससे रफ्तार और राहत दोनों पर ब्रेक लग गया है।
कोहरे का ‘कॉकटेल’ और यातायात पर ब्रेक
शनिवार को कोहरे का असर इतना गहरा था कि पटरियों पर दौड़ने वाली वंदे भारत जैसी हाई-स्पीड ट्रेनें भी समय की पटरी से उतर गईं। शिमला और ऊना पहुंचने वाली रेल सेवाओं में घंटों की देरी दर्ज की गई। विजिबिलिटी (दृश्यता) शून्य के करीब पहुंचने से सड़कों पर भी वाहनों की गति थमती नजर आई।
सात जिलों के लिए चेतावनी जारी
मौसम विभाग ने आने वाले समय के लिए एक सख्त एडवाइजरी जारी की है, जिसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
ऑरेंज अलर्ट: मंडी (बल्ह घाटी) और बिलासपुर (भाखड़ा डैम क्षेत्र) में स्थिति गंभीर रह सकती है। यहाँ घना कोहरा छाए रहने की पूरी संभावना है।
येलो अलर्ट: ऊना, कांगड़ा, हमीरपुर, सोलन और सिरमौर के कुछ हिस्सों के लिए भी सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
ड्राइविंग चेतावनी: विभाग ने खासकर रात और सुबह के समय वाहन चलाने वालों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।
खेती पर संकट और जमा देने वाला पारा
हिमाचल में करीब दो महीनों (नवंबर-दिसंबर) से सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। बारिश न होने की वजह से रबी फसलों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है। वहीं, तापमान में गिरावट का दौर जारी है:
पहाड़ों के ऊपरी हिस्सों में पारा -4 से -7 डिग्री तक गोते लगा रहा है।
कुकुमसेरी प्रदेश का सबसे ठंडा इलाका बना हुआ है, जहाँ तापमान -4.2 डिग्री दर्ज किया गया।
मैदानी इलाकों के न्यूनतम तापमान में भी अचानक 3 से 5 डिग्री की कमी आई है।
उम्मीद की किरण: न्यू ईयर का तोहफा?
लंबे सूखे के बीच एक अच्छी खबर भी है। मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि 30 दिसंबर से 2 जनवरी के बीच राज्य के मध्य और ऊंचे पहाड़ों पर बादलों का डेरा रहेगा। साल के अंत और नए साल की शुरुआत में बारिश और हिमपात की प्रबल संभावना है, जो किसानों और पर्यटकों दोनों के लिए किसी बड़े उपहार से कम नहीं होगी।












