पावटा साहिब राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में आयुर्वेद के जरिए लोगों को निरोगी बनाया जा रहा है आयुर्वेदिक अस्पताल में आयुर्वेद के जरिए लोगों का उपचार किया जा रहा है यही नहीं कोरोनाकाल में भी आयुर्वेदिक अस्पताल में बेहतरीन कार्य किया है तथा लोगों को बेहतरीन सुविधा उपलब्ध कराई है आयुर्वेदिक दवाइयों के जरिए लोगों को बेहतरीन उपचार दिया जा रहा है क्योंकि आयुर्वेदिक दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता इसलिए आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ रहा है तथा अभी आयुर्वेद प्रगति को प्रचार प्रसार की जरूरत है | धनवंतरी को आयुर्वेद का देवता कहा जाता है तथा आयुर्वेदिक उपचार ही ऐसी पद्धति है जो रोग को जड़ से खत्म करती है |
जड़ी बूटियों से तैयार की गई आयुर्वेदिक दवाइयां बीमारी को जड़ से खत्म करती हैं इसलिए लोगों का रुझान अब आयुर्वेदिक उपचार की तरफ जा रहा है राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज आयुर्वेदिक पद्धति से किया जा रहा है तथा जड़ी बूटियों से निर्मित आयुर्वेदिक दवाइयां मरीजों को ठीक कर रही है तथा अधिकतर मरीजों की बीमारी जड़ से भी समाप्त हुई है | सबसे अच्छी बात यह है कि अधिकतर दवाइयां आयुर्वेदिक अस्पताल से मरीजों को मुफ्त में दी जाती हैं जिसके कारण गरीब लोग इसका फायदा उठा रहे हैं |
राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में आयुर्वेद के डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में कोरोनाकाल में पिछले साल से गिलोय, सोंठ, अदरक सहित कई जड़ी-बूटियों से काढ़ा बनाया दिया जा रहा है । मरीजों को सुबह और शाम काढ़ा दिया गया गया है जिसके अच्छे परिणाम सामने आये है ।इसके आलावा कोरोना सेंटर में भी आयुवेदिक काढ़ा मरीजो को दिया गया है जिससे मरीजो की तबियत में सुधार हुआ है | डॉक्टर ने बताया कि आयुर्वेद में सांस की बीमारियों के लिए कई जड़ी बूटियां बताई गई हैं। काढ़ा बनाने के लिए ऐसी कई जड़ी बूटियां चुनी गईं। इसके अलावा आयुर्वेद में कहा गया है कि ज्यादातर बीमारियां पेट के कारण होती है। इस कारण पेट की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियां भी इसमें मिलाई गईं। इसके साथ मरीजों को सिर्फ आसानी से पचने वाला भोजन और पीने के लिए गर्म पानी दिया जा रहा है।
आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। हज़ारों वर्षों से इसका उपयोग मनुष्य के रोगों का निदान करने के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद का मतलब है जीवन का ज्ञान इसीलिए आयुर्वेद में रोगी के लक्षण के साथ-साथ उसके मन, प्रकृति, दोषों और धातुओं की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसका उपचार किया जाता है। दुनिया को आयुर्वेद भारत की ही देन है लेकिन आज आयुर्वेदिक केंद्रों और क्लीनिकों के साथ आयुर्वेद विश्व स्तर पर फैल गया है। इस चिकित्सा पद्धति के प्रति जागरूकता के साथ ही दुनिया के कई देशों में आयुर्वेद की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।