(धनेश गौतम )मणिकर्ण क्षेत्र की जल्लूग्रां घाटी उत्तम किस्म के सेब के लिए प्रसिद्ध है। यहां का बागबान बेहद मेहनत करके सेब की फसल को टूटने नहीं देता है। वर्ष भर सेब के पौधों की सेवा की जाती है और आधुनिक तरीके से कटिंग, खाद व पोलीनेशन किया जाता है। यही कारण है कि यहां पर कभी भी सेब की फसल कम नहीं होती। पूरे प्रदेश में जहां सेब के उत्पादन में कमी आई है वहीं जल्लूग्रां में सेब की बंपर फसल है और बागबान वेहद खुश हैं।
सभी बागबान अपने बागीचों में काम करने में जुटे हैं और अर्ली वैरायटी के सेब मार्किट तक भी पहुंच गए हैं। बागबानों ने बताया कि उनको शुरुआती दौर में सेब के अच्छे दाम मिल रहे हैं। सुरुआत में उनका सेब 130 से लेकर 170 रुपए किलोग्राम तक बिक चुका है। गांव के प्रगतिशील बागबान सेनापाल शर्मा, कृष्ण शर्मा,दवेंद्र शर्मा, ओम चंद कपूर, जगरनाथ शर्मा, आशु शर्मा,गिरधारी लाल शर्मा,प्यारे लाल शर्मा,मुरली प्रकाश महंत, प्रेम महंत, नरेश कपूर,अनिल शर्मा,सुनील महंत, प्रदीप महंत, विनोद महंत आदि ने बताया कि इस क्षेत्र में सेब की बंपर फसल है और उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां के बागबान सालभर अपने बागानों में कड़ी मेहनत करते हैं और उसी का फल उन्हें मिलता है और अच्छी फसल होती है। गौर रहे कि इस वर्ष पूरे प्रदेश सहित कुल्लू जिला में भी सेब के उत्पादन में रिकॉर्डतोड़ गिरावट आई है। लेकिन इस क्षेत्र में सेब की अच्छी व उत्तम फसल है। इस वर्ष जिला में मात्र 38 लाख मीट्रिक टन सेब उत्पादन का ही अनुमान है जबकि वर्ष 2013 में यह उत्पादन 71 लाख व वर्ष 2014 में 88 लाख था। इस तरह जिला में सेब उत्पादन में भारी कमी आई है लेकिन इस घाटी के लोग अच्छी व बंपर फसल को लेकर वेहद खुश है।