सावधान! छोटे बच्चों को न दें ”Cough Syrup”, जानें केंद्र सरकार ने क्यों जारी की एडवाइजरी?

Khabron wala 

बच्चों को खांसी होने पर तुरंत कफ सिरप देना अब खतरे से खाली नहीं हो सकता। देश भर में खबरों के बाद, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है। इसमें साफ तौर पर निर्देश दिए गए हैं कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दें।

यह सख्त कदम तब उठाया गया है जब मध्य प्रदेश में कथित तौर पर दूषित कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की खबरें सामने आई थीं, हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बाद में स्पष्ट किया कि राज्य में जांचे गए किसी भी सिरप के नमूने में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे जहरीले तत्व नहीं मिले, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

5 साल तक के बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी सावधानी

स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने अपनी सलाह में केवल शिशुओं (2 वर्ष से कम) पर ही नहीं, बल्कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी कफ सिरप के इस्तेमाल को सामान्यतः अनुशंसित नहीं किया है। इसके अलावा, बुजुर्गों (वृद्ध लोगों) को भी खांसी की दवा लेते समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। उनके लिए, कफ सिरप का उपयोग डॉक्टर के सही मूल्यांकन, कड़ी निगरानी और सटीक खुराक के सख्त पालन के आधार पर ही होना चाहिए।

डॉक्टर की पर्ची का पालन अनिवार्य

DGHS की ओर से जारी इस परामर्श में डॉक्टरों के नुस्खे (पर्चे) का पालन करने के लिए जनता को जागरूक करने पर जोर दिया गया है। माता-पिता को सलाह दी गई है कि बच्चों को कफ सिरप देने से पहले चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें। एडवाइजरी में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि बच्चों में होने वाली अधिकांश गंभीर खांसी की बीमारियाँ अक्सर दवा के बिना भी समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सख्त निर्देश

इस परामर्श में सभी स्वास्थ्य केंद्रों और क्लीनिकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वे केवल गुणवत्तापूर्ण और सही ढंग से तैयार किए गए उत्पादों को ही खरीदें और बेचें। डॉक्टरों और दवा विक्रेताओं दोनों को जागरूक करना बहुत जरूरी है ताकि देखभाल के मानकों को बनाए रखा जा सके। सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभागों और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को यह सलाह सरकारी दवाखानों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और अन्य चिकित्सा संस्थानों में तुरंत लागू करने और प्रसारित करने का निर्देश दिया गया है।

नमूनों की गहन जाँच और परिणाम

बच्चों की मौत की खबरों के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की एक संयुक्त टीम को मध्य प्रदेश भेजा था। व्यापक जाँच के बाद मंत्रालय ने पुष्टि की कि किसी भी नमूने में किडनी को गंभीर नुकसान पहुँचाने वाले तत्व DEG या EG नहीं पाए गए। राजस्थान से दूषित सिरप की खबरों पर भी मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया कि संदिग्ध उत्पाद में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल (जो DEG/EG संदूषण का संभावित स्रोत होता है) मौजूद नहीं था।

यह एडवाइजरी बताती है कि सरकार बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीर है और बिना डॉक्टर की सलाह के दवा देने के खतरे से बचाना चाहती है।

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