देश में महिलाओं की आधी जनसंख्या है, महिलाओं सशक्तिकरण के बिना समाज के विकास के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर आज यहां हिमाचल प्रदेश महिला आयोग द्वारा राज्य स्तरीय विधिक जागरूकता कार्यक्रम एवं सशक्त महिला सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है यदि महिलाओं को अवसर प्रदान किए जाए तो वे हर क्षेत्र उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक कानून है परन्तु महिलाओं के विरूद्ध अपराध को रोकन के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं है बल्कि सामज की सोच को बदलना आवश्यक है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य महिला आयोग महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ-साथ उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य महिला आयोग में प्रतिवर्ष लगभग 1000 मामले आते हैं, जिनमें से आयोग द्वारा 600 मामलों का निपटारा सौहाद्रपूर्ण तरीके से किया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल के दौरान महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रदेश में आयोग द्वारा नौ महिला जागरूकता शिविर तथा पांच विधिक जागरूकता शिविर आयोजित किए गए। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय संस्कृति महिलाओं को आदर का स्थान देती है और उस समय महिलाओं के विरूद्ध अपराधिक मामले न के बराबर थे।
उन्होंने कहा कि लड़कियों को उनके अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों के प्रति शुरूआत में ही शिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी उनके सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के विरूद्ध अपराध पर नजर रखने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गुड़िया हैल्प लाइन 1515 आरम्भ की गई है और महिलाएं आपात स्थिति में इस टोल-फ्री नम्बर पर कॉल कर सकती है। इसके अतिरिक्त महिला सशक्तिकरण के लिए शक्ति एप्प भी आरम्भ किया गया है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि बालिकाओं के प्रति समाज की सोच को बदलना अति आवश्यक है। राज्य सरकार ने ‘बेटी है अनमोल योजना’ के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों को प्रदान की जाने वाली सहायता राशि को 10000 रुपये से बढ़ाकर 12000 किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का विस्तार होने से धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से बालिकाओं के प्रति सोच में आया बदलाव स्वागत योग्य है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग के ‘लोगो’ का भी विमोचन किया। इस ‘लोगो’ का निर्माण मण्डी जिला के धर्मेन्द्र ने किया है जिन्हें मुख्यमंत्री ने हिमाचली टोपी व 11000 रुपये के नकद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित कया। उन्होंने ‘लोगो’ डिजाइन प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर आने वाले नरेन्द्र कुमार को सम्मानित किया। उन्होंने पुरस्कार राशि 5100 रुपये को मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए मुख्यमंत्री को सौंपा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थियों को अपनी ऐच्छिक निधि से 21000 रुपये देने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने आंचल ठाकुर, गीता वर्मा, प्रिति कंवर, प्रियंका नेगी, संजना गोयल, सीमा देवी, सीमा ठाकुर, शशी नेगी, सुषमा वर्मा को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए पुरस्कृत किया।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डेजी ठाकुर ने मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने विधि जागरूकता कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के अवसर प्रदान करते हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेन्द्र शर्मा ने महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंस्सा पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता उनकी सशक्तिकरण का प्रभावी साधन है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल, नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट, राज्य बाला कल्याण परिषद की महासचिव पायल वैद्य, राज्य महिला आयोग की सदस्य इन्दु बाला, उपायुक्त अमित कश्यप, पुलिस अधिक्षक ओमापति जम्वाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।