आजादी के 72 साल बाद भी जिला लाहुल-स्पिती मूलभूत सुविधाओं के लिए रहा तरस

(नीना गौतम ) आज भारत देश को आजाद हुए 72 साल हो चुके है लेकिन जिला लाहुल-स्पिती का गांव मुद आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसरहा है। चाहे वो स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो, संचार हो या विपरीत परिस्थितियों से होने वाली कठिनाइयां। आज भी गांव मे स्वास्थ्य के नाम पर एक डिस्पेंसरी ही है ओर डिस्पेंसरी मे भी इस समय कोई भी कार्यरत नहीं है,जो सर्दियों मे लोगों को सर्दी और ज़ुकाम तक का दवा दे सके। अगर ऐसे हालात में उन्हें कुछ होता है तो कोन जवाबदेही होगा। बीते 12 वर्षों सेवहां के लोग नोन मेडिकल के अध्यापक के लिए तरस रहे हैं। नोन मेडिकल के ना होने के कारण वहां के बच्चों का भविष्य अंधकार में चला गया है ऐसे में लोगों को मजबूरी मे अपने बच्चो को बाहर पढऩे के लिए भेजना पड़ रहा है।


कोई प्राइवेट स्कूल में तो कोई 14 किलोमीटर दूर सगनम गांव मे पढने के लिए भेज रहे है। सर्दियों में ये बच्चे अपनी जान जोखिम में डाल कर घर वापस जाते हैं। सर्दियों के चार महीने ये गांव शेष दुनिया से कट जाता है। जहां आज मोदी के राज में भारत डिजिटल हो रहा है वही इस गांव में टावर तो छोड़ो लैंडलाइन की भी सुविधा नहीं है। ऐसा नहीं है कि इन मांगों के लिए लोगों ने संघर्ष नहीं किया हो बीते कई वर्षो से इस गांव के लोगो ने स्थानीय प्रशासन तथा सरकार के समक्ष अपनी इन मांगों को कई बार रखा था। पर सब बेनतीजा रहा ना तो स्वास्थ्य के हालात सुधरे ना ही शिक्षा के। हालांकि इस गांव के पूर्व प्रधान ज्ञालसनने हिमाचल सरकार के लोकप्रिय कार्यक्रम जनमंच में गोविंद सिंह ठाकुर के समक्ष इन मांगों को बड़े जोरदार तरीके से रखा था। उनकी बातों को सुनने के पश्चात मंत्री ने आश्वासन दिया था पर वो सिर्फ आश्वासन ही था क्यूंकि हालत आज भी वही है। आज भी वहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है।


ईन गांव के लोगों का सरकार से प्रश्न है कि क्या इससे इनके मानवाधिकार तथा मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है। क्या इन्हें बेहतर जिंदगी जीने का हक नहीं अगर हक है तो फिर आखिर कब सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देगी। इस गांव के पूर्व प्रधान ज्ञालसन तथा उनके साथ छेवांग नमज्ञाल, दोरजे तनडुप था। अन्य गांव वासियों ने सरकार से आग्रह किया है कि एक तो उनके स्कूल में जल्द से जल्द एक गणित के अध्यापक नियुक्ति की जाए साथ ही सर्दियों की परिस्थियों को देखते हुए वहां विशेष रूप से एक डॉक्टर को डेपुटेशन पर रखा जाए और संचार व्यवस्था की सुविधा की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर समय रहते उनकी मांग पूरीनहीं होती तो समस्त ग्रामवासी व्यापक आंदोलन करेंगे और इसके लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार होगी।

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