शिमला जिले के कुपवी के एक मजदूर परिवार की 14 वर्ष से कम उम्र की यह बच्चियां पांवटा साहिब में एक बड़े कारोबारी के घर पर बाल मजदूरी करती थी जहां उनकी बुरी तरह पिटाई होती थी और एक बच्ची ने उसके शारीरिक शोषण का भी आरोप लगाया था। पिटाई से घायल होने के बाद उन्हें इलाज के लिए इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
शिमला हिमाचल प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उमंग फाउंडेशन की अपील पर शिक्षा विभाग को आदेश दिए हैं की पावटा साहिब में बाल मजदूरी और अन्य अत्याचारों का शिकार बनी दो छोटी जुड़वा बच्चियों को शिमला के पोर्टमोर स्कूल में प्रवेश और हॉस्टल की सुविधा दी जाए। बच्चियों की पढ़ाई और हॉस्टल में रहने का पूरा खर्च उमंग फाउंडेशन उठाएगा।
पिछले महीने उमंग फाउंडेशन ने यह मामला उजागर करते हुए मांग की थी कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके बाद सिरमौर पुलिस ने बाल यौन अपराध रोकथाम कानून(पोक्सो) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर 25 फरवरी को मुख्य आरोपी विजय भल्ला को गिरफ्तार किया था। उसकी पत्नी उषा भल्ला को बच्चियों से बाल मजदूरी कराने और मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने 2 मार्च को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष किरण किरण धानटा के साथ एक बैठक में जुड़वा बच्चियों के शिक्षा के अधिकार के संरक्षण का मामला उठाया था। उन्होंने आयोग की अध्यक्ष से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा था कि शिमला के प्रतिष्ठित पोर्टमोर स्कूल में एक बच्ची को सातवीं और दूसरी को आठवीं कक्षा में प्रवेश व हॉस्टल की सुविधा दिलाई जाए । उनका कहना था की बच्चियों की पढ़ाई, हॉस्टल और खाने पर आने वाला पूरा खर्च उमंग फाउंडेशन उठाने को तैयार है।
आयोग ने इस बारे में 15 मार्च को हुई बैठक में फैसला किया और 27 मार्च को प्राथमिक शिक्षा विभाग के उप निदेशक को पत्र भेजकर कहा की बच्चियों को तुरंत पोर्टमोर स्कूल में दाखिला और हॉस्टल सुविधा दी जाए। अजय श्रीवास्तव ने राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरण धानटा और आयोग के सदस्यों का धन्यवाद किया है