(विजय ठाकुर) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि हिमाचल के फार्मा क्षेत्र के उद्योगपतियों की समस्याएं सुनने के लिए एक विशेष दिन तय किया जाएगा। उद्योगपति अपनी समस्याओं को ऑनलाइन भी भेज सकते हैं। निर्धारित दिन के तहत केंद्रीय टीम यहां आकर उद्योगपतियों की समस्याओं का निपटारा करेगी। डब्ल्यूएचओ के सहयोग से कसौली की लेबोरेट्री को 30 करोड़ से स्टेट ऑफ द आर्ट बनाया जाएगा।
रविवार को बद्दी के समीप मलपुर में 10 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के क्षेत्रीय कार्यालय भवन की आधारशिला रखने के दौरान नड्डा ने कहा कि मलपुर में 6 बीघा 3 बिस्वा जमीन पर बनने वाले इस क्षेत्रीय कार्यालय के भवन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले चरण में 10 करोड़ दिए हैं।
कंपनी ने आश्वस्त किया है कि एक साल में इसका निर्माण कार्य गेस्ट हाउस के निर्माण सहित पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार दवा निर्माताओं के लिए विशेष कैंपों का आयोजन करेगी, जिसमें उन्हें बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाएगा।सरकार की नई स्वास्थ्य नीति के तहत रोग से निरोग करना है, जिसके लिए कई अन्य महकमों का भी इसमें योगदान लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई के लिए भी केंद्र सरकार ने 8 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। यह राशि खाद्य सामग्री जांचने वाली लेबोरेट्री में आधुनिक मशीनें मुहैया कराने पर खर्च होगी।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह ने नड्डा का स्वागत किया और कहा कि हिमाचल में स्थापित करीब 600 फार्मा इकाइयों का करोड़ों में टर्नओवर है। यहां से 160 देशों में 950 करोड़ रुपये की दवाइयों का निर्यात किया जाता है। आज प्रदेश में हर तीसरी दवा का निर्माण हो रहा है। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं पर 26 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रही हैं। उन्होंने नड्डा से कई राज्यों में बन रही दवाओं और हिमाचल में उसका लाइसेंस जारी न करने की बात उठाई। कहा कि हिमाचल में भी दवा निर्माताओं को दवा निर्माण के लाइसेंस जारी होने चाहिए। प्रदेश सरकार ने लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल करके इसे ऑनलाइन कर दिया है, इससे काम जल्दी होगा और पारदर्शिता भी बनी रहेगी।