हिमाचल: पिता के बाद अब दो बच्चों से छिन्न गया मां का आंचल, अब कौन बनेगा मासूमों का सहारा

Khabron wala 

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के टुटू विकास खंड की चनोग पंचायत से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया है। गांव कफलेड़ में रहने वाली 42 वर्षीय निर्मला देवी की सर्पदंश से मौत हो गई, जिससे उनके दो मासूम बच्चों के सिर से मां का भी साया उठ गया। बड़ी बात यह है कि दोनों बच्चों के पिता की पहले ही मौत हो गई है। अब मां की मौत के बाद दोनों बच्चे बेसहारा हो गए हैं।

घास की तलाश में गई थी

निर्मला देवी जो पहले ही पति मनोज कुमार को खो चुकी थीं अपने दो बच्चों की परवरिश के लिए अकेली संघर्ष कर रही थीं। रोज की तरह बुधवार सुबह वह गांव से कुछ दूर एक ढलान पर घास काटने गई थीं, ताकि अपने मवेशियों के लिए चारा जुटा सकें। लेकिन इस बार वह घर लौट नहीं पाईं। घास काटते समय झाड़ियों में छिपे एक जहरीले सांप ने उन्हें डस लिया। घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने उन्हें तुरंत पास के सायरी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

निर्मला की मौत ने न सिर्फ एक परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ा दी। गांव वालों की आंखें नम थीं, लेकिन सबसे ज्यादा दिल को चीर देने वाला दृश्य था उनके दो बच्चे, एक बेटा और एक बेटी, जो अब बिल्कुल अकेले हो गए हैं। पहले पिता और अब मां की मौत ने उनके जीवन को असमय ही अंधेरे में धकेल दिया है।

गांव की बुज़ुर्ग महिलाएं कहती हैं, निर्मला जैसी मां मिलना बहुत मुश्किल होता है। वह खुद भूखी रह जाती, पर बच्चों का पेट नहीं खाली रहने देती थी।

घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम मंजीत शर्मा गांव पहुंचे और पीड़ित परिवार के प्रति गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने तत्काल फौरी राहत राशि जारी करने के आदेश भी दिए और प्रशासन की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

बरसात में बढ़ रहे सर्पदंश के मामले

हिमाचल प्रदेश में मानसून के दौरान सर्पदंश के मामले तेजी से बढ़ते हैं। बारिश के चलते सांप अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं और ग्रामीण इलाकों में यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है, खासकर उन महिलाओं और किसानों के लिए जो खेतों या जंगलों में काम करते हैं। चिकित्सकों की मानें तो सर्पदंश के बाद शुरुआती 1 घंटे को ‘गोल्डन ऑवर’ कहा जाता है, जिसमें सही उपचार मिलने पर जान बचाई जा सकती है। लेकिन दूर-दराज के इलाकों में अस्पताल तक पहुंचने में देरी जानलेवा बन जाती है, जैसा कि इस मामले में हुआ।

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि बरसात के मौसम में गांवों में सर्पदंश से निपटने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जरूरी दवाइयों और एंटी-वेनम की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ताकि समय रहते सही कदम उठाए जा सकें।

निर्मला की मौत से पैदा हुआ सवाल सिर्फ एक परिवार का नहीं, पूरे समाज का है – जब एक मां और पिता दोनों इस दुनिया से चले जाएं, तो इन मासूम बच्चों का भविष्य कौन संभालेगा? कौन उन्हें वो स्नेह, सुरक्षा और सहारा देगा जिसकी उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है?

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