Himachal: मां के सपने को साकार कर रहे भाई-बहन, पारंपरिक वस्त्र तैयार कर समूह से जुड़ी 15 महिलाएं चला रहीं परिवार

Khabron wala 

किसी भी माता-पिता को तब अधिक खुशी मिलती है, जब उनके बच्चे उनके अधूरे सपने को साकार करते हैं. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के रहने वाले भाई-बहन भी ऐसा ही कुछ कर रहे हैं. मां के निधन के बाद उनके सपने को पूरा करने के लिए उनके दोनों बच्चे जमकर मेहनत कर रहे हैं ताकि उनके माता-पिता का नाम रोशन हो सके. मां के अधूरे सपनों को पूरा करने में प्रदेश सरकार की ओर से हर संभव सहायता मुहैया करवाई जा रही है. सरकार के प्रयासों से उनके स्वरोजगार को गति मिल रही है. इस समूह से जुड़ी 15 महिलाओं का परिवार में अच्छे से चल रहा है. आइए पूरा मामला विस्तार से जानते हैं.

जॉब छोड़ मां का सपना साकार कर रहे भाई-बहन

कुल्लू जिला के गांव कलेहली डाकघर बजौर तह भुंतर के संधु स्वयं सहायता समूह 2020 से रजिस्टर्ड है. उस समय इस समूह को इंदु और अमन की माता चलाती थीं, लेकिन साल 2022 में अचानक से उनका निधन हो गया. इनके पिता सेना से सेवानिवृत हैं और वर्तमान में लारजी प्रोजेक्ट में कार्यरत हैं. जब माता का निधन हुआ तो इंदु बीफार्मा की पढ़ाई करने के बाद पंचकूला में एक निजी कंपनी में पिछले कई साल से जाॅब कर रही थी. लेकिन, माता के निधन के बाद इंदु को स्वयं सहायता समूह से जुड़ी उन 15 महिलाओं का ख्याल आया जिनका परिवार इसी से चलता है. ऐसे में माता के निधन के बाद इंदु ने स्वयं सहायता समूह के काम को संभालने का फैसला लिया. उस समय छोटा भाई अमन BBA की पढ़ाई कर रहा था. दोनों भाई-बहन ने आपसी सहमति से फैसला लिया कि दोनों मिलकर स्वयं सहायता समूह का सभी काम देखेंगे और इसका विस्तार भी करेंगे.

इंदु ने नौकरी छोड़ने के बाद इस समूह में तैयार होने वाले उत्पादों के बारे में काफी बारीकी से समझना शुरू किया. इसके अलावा समूह में काम कर रहीं 15 महिलाओं को भी आश्वासन दिया कि उनके रोजगार में कभी कोई परेशानी नहीं आएगी. फिर क्या था दोनों भाई-बहन ने मिलकर काफी मेहनत किया, इसी मेहनत और इमानदारी का नतीजा है कि पिछले तीन सालों से दोनों भाई-बहन स्थानीय पारंपरिक वस्त्रों को तैयार करके देश-दुनिया में बेच रहे हैं. कलहेली में दोनों भाई-बहन अपनी शाॅप भी चला रहे हैं, जहां पर सभी उत्पाद उपलब्ध हैं.

इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और राज्य ग्रामीण ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ भी स्वयं सहायता समूह जुड़ा हुआ है. सरस मेले और हस्त शिल्प मेलों में संधु स्वयं सहायता समूह हिस्सा लेता आ रहा है. सरस मेले में पहुंचे इंदु और अमन ने कहा कि, सरकार के प्रयासों की वजह से हम अपने उत्पादों को आम जनता तक पहुंचा रहे हैं. सरस मेले, ट्रेड फेयर में हमें स्टाॅल न मिले होते तो हम अपने कारोबार का विस्तार नहीं कर पाते. इस समूह से जुड़ी महिलाएं पूर्ण रूप से इसी पर निर्भर हैं.

बड़े स्तर पर कारोबार की तैयारी

स्वयं सहायता समूह की सदस्य अमन ने कहा कि, “आने वाले कुछ सालों में स्वयं सहायता समूह बड़े स्तर पर कारोबार करने की तैयारी में है. मेरी बहन मार्केटिंग का सारा काम देखती है जबकि अन्य सारा काम वह खुद देखते हैं. हम सब मिल कर काम करते हैं. मेरा लक्ष़्य यही है कि हमारा सहायता समूह देश दुनिया में खूब कारोबार करें और हमारी ग्रामीण महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हो सके. हमें अपने स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करना चाहिए. इसी के माध्यम से हम आत्मनिर्भर के संकल्प को धरातल पर उतार पाएंगे.”

स्वयं सहायता समूह की युवा पीढ़ी से अपील

वहीं, संधु स्वयं सहायता समूह की सदस्य इंदु ने कहा कि, “हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान हमारे पारंपरिक वस्त्रों से होती आ रही है. लेकिन, आज की युवा पीढ़ी इन वस्त्रों को उतनी इम्पॉर्टेंस नहीं देती है. हमारे समूह की कोशिश की है कि पारंपरिक वस्त्रों को मॉर्डन टच देकर युवा पीढ़ी की पसंद के अनुरूप बनाए ताकि उन्हें वस्त्र पसंद आए. कढ़ाई से वाॅल फ्रेम तैयार की गई है, जोकि शोपीस के तौर पर घर या ऑफिस में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें कुल्लू पट्टी का पारंपरिक डिजाइन उकेरा गया है.”

स्वयं सहायता समूह में इन उत्पादों का निर्माण

दोनों भाई बहन ने बताया कि, संधु स्वयं सहायता समूह सदरी, कोट, गर्म सूट, शाॅल, टोपी आदि उत्पादों का निर्माण कर रहा है. इसमें जीआई टैग प्राप्त कच्चे माल की इस्तेमाल किया जा रहा है. खास बात यह है कि, सभी उत्पाद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं द्वारा बनाए जाते हैं, जिससे उनकी आर्थिकी दिन-प्रतिदिन सुदृढ़ हो रही है. दोनों भाई बहन ने युवाओं को नशे से दूर रहकर अपने काम पर फोकस करके अच्छा करियर बनाने का संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि हमारे काम में चुनौतियां बहुत थीं, लेकिन चुनौतियों से लड़कर आगे बढ़ना ही जिंदगी का नाम है.

 

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