हिमाचल प्रदेश की पुलिस ने एक गजब का कारनामा कर दिखाया है। बिना किसी जुर्म के एक व्यक्ति को हिरासत में रखा गया। अब इस मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने गृह सचिव व पुलिस DGP को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है।
इस मामले में व्यक्ति को हिरासत में भेजने वाले जज को भी प्रतिवादी बनाया गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने बुधी सिंह द्वारा दायर याचिका की आगामी सुनवाई 22 जून 2023 को निर्धारित की है।
यह है पूरा मामला
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार, पंजाब नेशनल बैंक करसोग ने बुधी सिंह पुत्र कपुरू के खिलाफ चेक बाउंस की शिकायत दर्ज की गई। न्यायिक दंडाधिकारी करसोग ने बुधी सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया।
मामले की सुनवाई 20 जून 2022 को निर्धारित की गई थी। 18 जून 2022 को करसोग पुलिस ने गैर जमानती वारंट की तामील की और उसे 20 जून 2022 को अदालत के समक्ष पेश किया।
किसी और को पकड़ना था, प्रार्थी को जेल में डाल दिया
प्रार्थी ने अदालत के समक्ष बयान दिया कि उसके खिलाफ किसी भी अदालत में कोई मामला दर्ज नहीं है और पुलिस ने उसे गलती से गिरफ्तार किया है। प्रार्थी के अनुसार अदालत ने उसकी एक भी नहीं सुनी और सीधा 3 दिनों के लिए हिरासत में भेज दिया।
अगले दिन 21 जून को प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष आवेदन दायर करके अदालत को बताया कि मामला किसी और बुधी सिंह पुत्र कपुरू के खिलाफ दर्ज है। संयोगवश प्रार्थी और आरोपी का नाम व पिता का नाम एक ही है, जबकि दोनों का पता अलग-अलग है।
प्रार्थी का कहना, उसकी किसी ने नहीं सुनी
प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि पुलिस व न्यायिक दंडाधिकारी ने उसकी बात भी नही सुनी। दलील दी गई है कि पुलिस और अदालत की गलती के चलते प्रार्थी को अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया। इससे उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन हुआ है।
प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाई है कि मौलिक अधिकारों के हनन के लिए गृह सचिव को जांच करने के आदेश दिए जाए। प्रार्थी ने क्षतिपूर्ति के तौर पर एक करोड़ हर्जाने की गुहार भी लगाई है।