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भैयादूज का दिन था, भाई अपनी बहन का इंतजार कर रहा था। बहन ने भी फोन किया था कि वह तुम्हारे जीजा और दोनों बच्चों के साथ आ रही है। लेकिन कुदरत को शायद कुछ और ही मंजूर था। घर से निकलने के थोड़ी ही देर बाद भाई को फोन आया, जिसमें बताया गया कि उसकी बहन और जीजा की सड़क हादसे में मौत हो गई है।
नगरोटा बगवां के सकोट गांव का 30 वर्षीय कुलदीप अपनी पत्नी तमन्ना (26), बेटे सक्षम (6) और बेटी परेक्षा (4) के साथ अपने ससुराल की ओर जा रहा था। भैयादूज के अवसर पर तमन्ना ने सोचा था कि भाई के माथे पर इस बार वह अपने हाथों से तिलक लगाएगी। लेकिन किसे पता था कि यह यात्रा उसके जीवन की अंतिम यात्रा बन जाएगी।
गुरुवार दोपहर जब उनका परिवार कांगड़ा बाईपास के टांडा चौक के पास पहुंचा, तभी उनकी ओमनी वैन अनियंत्रित होकर सड़क किनारे बने डंगे से जा टकराई। टक्कर इतनी भीषण थी कि वैन का अगला हिस्सा पूरी तरह चकनाचूर हो गया। स्थानीय लोगों ने जब गाड़ी तक पहुंच बनाई, तब तक कुलदीप और तमन्ना की सांसें थम चुकी थीं। दोनों बच्चे सक्षम और परीक्षा पिछली सीट पर थे। वे घायल तो हुए, पर ज़िंदा बच गए। जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तो बार-बार सिर्फ एक ही सवाल उनके होंठों पर था मम्मी-पापा कहां हैं।
पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए थे। आज शुक्रवार को सकोट गांव में दोनों पति पत्नी का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में भारी भीड़ उमड़ी थी। हर किसी की आंखें नम थी। हर किसी की जुबान पर बस एक ही सवाल था कि अब उन दो मासूम बच्चांे का क्या होगा, जिनके सिर से माता पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया है।
एएसपी कांगड़ा बीर बहादुर ने बताया कि वैन चालक कुलदीप और उसकी पत्नी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दोनों बच्चे सुरक्षित हैं और उनका इलाज चल रहा है। शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है।












