( जसवीर सिंह हंस ) “दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान” की ओर से स्थानीय “जिला कारागार कैथू” में कैदी बन्धुओं के आत्मिक उत्थान हेतु एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान की ओर से “श्री आशुतोष महाराज जी” के शिष्य स्वामी विज्ञानानंद जी ने कैदी बंधु जनों को संबोधित करते हुए कहा कि भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में युवा वर्ग के पास भौतिक सुख सुविधाएँ तो हैं परंतु मानसिक शांति न होने के कारण वह चिंता एवं अवसाद से मुक्ति के लिए नशे की दलदल में फंस कर अपनी चारित्रिक शक्ति और नैतिक मूल्यों का ह्रास कर रहा है।
“नशे” की परिभाषा देते हुए स्वामी जी ने बताया की “न शम् शांतिर्मया इति नशा” अर्थात् जिसमे तनिक भी शांति नहीं, वही नशा है। अवसाद से मुक्ति का उपाय नशा नहीं अपितु इस मानसिक व्याधि को खत्म करने के लिए आत्मिक शक्ति के विकास की आवश्यकता है। हमारे राष्ट्र भक्तों ने राष्ट्र भक्ति का नशा किया और चारित्रिक विकास से ओतप्रोत हो भारत माता को स्वतंत्रता दिलाई। चरित्र भारत भूमि का आधार है और आज उसी धर्म भूमि भारत में अधिकतर युवा शक्ति का चारित्रिक पतन हो रहा है। आज आवश्यकता है कि युवा वर्ग ब्रह्म ज्ञान की शक्ति से जाग्रत होकर राष्ट्र में अग्रगण्य भूमिका निभाए। आज के युवाओं के आदर्श यदि भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद, स्वामी विवेकानंद इत्यादि होंगे तो भारत को फिर से जगतगुरु के पद पर आसीन किया जा सकता है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ कारागार “सहायक अधीक्षक ललित मोहन” द्वारा ज्योति प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर प्रकृति और संस्कृति का रक्षण करने के लिए स्वामी जी ने युवा शक्ति को जागरूक किया। साध्वी संदीप भारती, ममता भारती व हरीदीपिका भारती ने मेरा रंग दे बसन्ती चोला…, कुछ कर दिखाना है…, हे प्रीत जहाँ की रीत सदा..इत्यादि क्रन्तिकारी राष्ट्र भक्ति के गीत गाकर कैदी बंधु जनों के हृदयों में देश भक्ति की भावना का प्रसार किया। प्रेरणादायक विचारों को सुन व राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत हो समस्त कैदी बंधुओं ने आजीवन नशा ना करने व चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण करने का सामूहिक संकल्प लेते हुए कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की।
ध्यातव्य है कि आज संस्थान की ओर से अपने कारागार सुधर परियोजना “अन्तरक्रान्ति” प्रकल्प के अंतर्गत आज तिहाड़ जेल से लेकर भारत की लगभग 50 जेलों में कैदी बन्धुओं के नैतिक उत्थान हेतु नियमित कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं तथा इनके शत प्रतिशत सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में ललित मोहन ने संस्थान का राष्ट्र विकास के लिए चलाये जा रहे सामाजिक प्रकल्पों के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया।