विश्व की सबसे बड़ी देव संसद का आयोजन पहुंचे सैंकड़ों देवी-देवता , कहा अभी भी नहीं किया सुधार तो भविष्य के खतरे के लिए रहें तैयार

 ( नीना गौतम )  देवभूमि कुल्लू के रघुनाथ मंदिर सुल्तानपुर में विश्व की सबसे बड़ी देव संसद का आयोजन हुआ। इस देव अदालत में देवता धूमल नाग के रथ सहित सैंकड़ों देवी-देवताओं के चिन्ह नेजा निशाण घोंडी धड़च्छ गुर पुजारी के माध्यम से यहां पहुंचे और जगती का भव्य आयोजन हुआ। इस देव अदालत में देवी-देवताओं ने फैसला सुनाया कि यदि देव नियमों व देव नीति को दरकिनार किया गया तो इसके गंभीर परिणाम भविष्य में भुगतने पड़ सकते हैं। देवी-देवताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि ढालपुर मैदान अठारह करडू की सौह है और इस मैदान को व्यवसायिक नहीं बनाया जा सकता और यहां पर हो रहा अतिक्रमण सहन नहीं होगा। देवी-देवताओं ने स्पष्ट किया कि ढालपुर मैदान में उनके स्थान थलियों के रूप में हैं और इनकी पवित्रता बनाए रखना अति आवश्यक हैं। इसके अलावा देवी-देवताओं ने चिंता जाहिर की कि देवनीति को हर जगह दरकिनार किया जा रहा है और देवनीति में राजनीति की जा रही है जो अनुचित है।

लिहाजा रविवार को देवभूमि कुल्लू के रघुनाथ मंदिर के प्रांगण में देवी- देवताओं की संसद जगती सज गई और भव्य देव आयोजन हुआ। इस मौके पर देवताओं के गुरों ने देवभूमि में लोगों द्वारा नए नए रीति- रिवाजों को शुरू करने पर आपत्ति जताते हुए इसे भविष्य के लिए खतरा बताया है।  इसके अलावा अठारह करडू की सौह में  फैलाई जा रही गंदगी को लेकर भी देवता काफी क्रोधित हैं। देवताओं ने अपने- अपने गुरों के माध्यम से कहा कि लोग आज बड़े हो गए हैं हम छोटे तभी तो अपनी मर्जी के नए- नए निर्णय लिए जा रहे हैं और पुराने रीति -रिवाजों को छोड़कर इंसान आज नए रीति रिवाजों को अपना रहा है जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं। वहीं नारद दुर्वासा ऋषि के गुर ने सभी को आने वाले समय में किसी बड़ी आपदा के लिए सतर्क रहने के लिए आगाह किया। उन्होंने कहा कि पृथ्वी इस समय बहुत बड़ी मुश्किल में है कोई भी प्राकृतिक आपदा या अन्य कोई नुकसान हो सकता है और इसका सबका बड़ा कारण लोगों द्वारा अपनी मर्जी के जो फैसले लिए जा रहे और  देवी देवताओं को खिलौना समझकर उनके रीति रिवाजों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है और अशुद्धि फैलाई जा रही है। इसके लिए सभी को मिलकर जप करना पड़ेगा।

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