( जसवीर सिंह हंस ) सिंचाई एंव जन स्वास्थ्य, बागवानी तथा सैनिक कल्याण मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कृषि वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे अपने अनुसंधान एवं ज्ञान को खेतों तक पंहुचाएं ताकि किसान एंव बागवान तकनीक में हो रहे परिवर्तन एवं नवीन अनुसंधान से शीघ्र लाभान्वित हो सकें। महेन्द्र सिंह ठाकुर आज डाॅ. वाई.एस.परमार औद्यानिकी एंव वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के 9वें सामूहिक विचार-विमर्श अधिवेशन का शुभारम्भ करने के उपरान्त उपस्थित कुलपतियों, कृषि वैज्ञानिकों एवं छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में 15 लाख रुपए की लागत से निर्मित होने वाले एचपीएमसी उत्पाद बिक्री केन्द्र की आधारशिला रखी। उन्होंने नेचर इंटरप्रिटेशन कम ट्रेंनिग सैटर तथा एपीकल्चर लैब का शिलान्यास भी किया। इसके निर्माण पर 1.5 करोड़ रुपए व्यय होंगे।कार्यशाला में देश के 22 विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग ले रहे हैं।
बागवानी मंत्री ने इस अवसर पर कार्यशाला की स्मारिका का विमोचन भी किया।ठाकुर महेन्द्र सिंह ने कहा कि हिमाचल की विविध जलवायुगत परिस्थितियां भिन्न-भिन्न फसलों एवं फलों की खेती के लिए सर्वथा अनुकूल हंै। इसके लिए आवश्यक है कि कृषि वैज्ञानिक क्षेत्र विशेष की जलवायु के अनुरूप अनुसंधान करें और किसानों एवं बागवानों तक इसे पंहुचाएं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सेब के साथ-साथ विभिन्न अन्य फलों के उत्पादन की अपार सम्भावनाएं हैं। उन्होंने कृषि तथा बागवानी वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे सेब के साथ हिमाचल में जलवायु अनुसार अन्य फलों के उत्पादन की सम्भावनाएं भी तलाशें।
बागवानी मंत्री ने कहा कि प्रदेश को बेमौसमी सब्जियों तथा नकदी फसलों के उत्पादन में देश में अग्रणी बनाया जा सकता है। इसके लिए न केवल किसानों को इस दिशा में प्रेरित करना होगा अपितु उन्हें गुणवत्तायुक्त बीज एवं अन्य सुविधाएं भी मुहैया करवानी होंगी। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक पूरे प्रदेश के लिए ऐसी परियोजना शीघ्र तैयार करें जो पर्यावरण एवं जलवायु के अनुरूप कृषि एवं बागवानी को विकसित करने में सहायक हो। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों में अनुसंधान पर अधिक बल देने का आग्रह किया।
ठाकुर महेन्द्र सिंह ने कहा कि पूरे विश्व में बड़ी तेजी से जलवायु परिर्वतन हो रहा है हिमालय क्षेत्र में बड़ी संख्या में गलेशियर पिघल रहे हैं जिससे वायुमण्डल पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों से अग्रह किया की इस गंभीर विषय के प्रति चिन्तन व मंथन करें तथा इस विकराल समस्या का स्थाई समाधान तलाश करें। उन्होंने कहा कि वर्षा जल का संग्रहण किया जा रहा है व संग्रहित जल को परिष्कृत करके पेयजल योग्य बनाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त हिमजल संग्रहण की भी नितांत आवश्यकता है ताकि भविष्य में पेयजल की समस्या से निजात पाई जा सके।
डाॅ. वाई.एस.परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति डाॅ.एच.सी शर्मा ने सभी का स्वागत किया तथा विश्वविद्यालय की गतिविधियों एवं कार्यशाला की विस्तृत जानकारी प्रदान की।इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली के अध्यक्ष एन.सी पटेल ने भी सारगर्भित जानकारी प्रदान की।विश्वविद्यालय के कुल सचिव राजेश मारिया ने धन्यावाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश सचिव बलदेव कश्यप, सोलन भाजपा मण्डल के अध्यक्ष रविन्द्र परिहार, महामंत्री नरेन्द्र ठाकुर, बीडीसी कण्डाघाट के पूर्व अध्यक्ष नंदराम कश्यप, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी तथा विश्वविद्यालय के अध्यापक एवं कर्मचारी इस अवसर पर उपस्थित थे।