कोठी बंूगा के आराध्य देवता देव श्रीबड़ा छमाहंू हजारों देवलुओ संग बनोगी-देहुरी के दौरे से वापस लौट आएं हैं। बनोगी क्षेत्र के नाही गांव में किसी श्रद्धालु ने देवता से मन्नत मांगी थी जिस कारण देवता बड़ा छमाहू अपने हरियानो संग सैंज घाटी की ओर रवाना हो गए थे। देवता के कारदार मोहन सिंह व पुजारी डोले राम ने बताया कि देव श्रीबड़ा छमाहंू अपने देवालय से हजारों देउलुओं के साथ यात्रा पर निकले थे इस दौरान देवता के भक्तों ने जगह-जगह भव्य स्वागत किया और कोटला से लेकर रोपा व वापसी पर रोपा से कोटला तक देवता के कई भक्तों ने जलपान वमिष्ठान की व्यवस्था की। उन्होंने बताया कि कोटला, धामण, लारजी, विहाली, सपागणी, शलवाड़, सैंज करटाह, रोपा आदि गांवों में देवता के भक्तों ने जोरदार स्वागत कर अभिनंदन किया।
जबकि आना-जाना 100 किलोमीटर के पैदल रास्ते में देवता के हारियान देवता के संग ढोल नगाड़ों की थाप पर झूमते रहे। उल्लेखनीय है कि देवता चार दिनों तक बनोगी क्षेत्र में ठहरे और इस दौरान कई देव कार्यक्रम किए जबकि पुंडरीक ऋ षि व देवी भगवती के हारियानों ने देव श्रीबड़ा छमाहंू का वनोगी क्षेत्र में पधारने पर जोरदार स्वागत किया। देवता पुंडरीक ऋ षि के पुजारी नूरम शर्मा ने बताया कि देव श्रीबड़ा छमाहंू क्षेत्र में पधारे और क्षेत्र वासियों ने भव्य स्वागत किया।लिहाजा हारियानों ने देव परंपरा निभा कर देवता के आगमन पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने बताया कि मेहमान देवता देव श्रीबड़ा छमाहंू ने इलाके की सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए कई देव कारज किए। इस दौरान देव श्रीबड़ा छमाहंू ने अपने पारंपरिक व पुरातन स्थलों का नीरिक्षण किया और सीमा रेखाओं को भी बांधा। देव श्रीबड़ा छमाहंू के इस क्षेत्र में पारंपरिक व पुरातन स्थल हैं। इस दौरान देवता ने अपने पुराने धान के खेत में जाकर भी धान बीजाने की परंपरा निभाई। उधर 4 माह पूर्व देवता पुंडरीक ऋ षि व देव श्रीबड़ा छमाहंू अपनी हारगी परंपरा को निभा चुके हैं।